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CM Yogi के इस्तीफे की अफवाहों के बीच आई बड़ी अपडेट, जानें यूपी में क्या है BJP की प्लानिंग का पूरा सच?

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : July 17, 2024, 2:59 pm IST

CM Yogi Adityanath

India News (इंडिया न्यूज), CM Yogi Adityanath: लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से यूपी बीजेपी में गर्मी भी काफी बढ़ गई है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बार-बार यह बात उठा रहे हैं कि प्रदेश में पार्टी और सरकार के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा के अंदर चल रही राजनीतिक उथल-पुथल अब खुलकर सामने आ गई है। राज्य के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के अचानक दिल्ली पहुंचने और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से लंबी मुलाकात के बाद से ही हर कोई किसी बड़ी खबर का इंतजार कर रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने की भी चर्चाएं शुरू हो गई थीं लेकिन अब यह बात सामने आ गई है कि फिलहाल राज्य में कोई बड़ा बदलाव नहीं होने जा रहा है। आगे जानें क्या है यूपी बीजेपी की अंदरूनी कलह?

1. यूपी में उपचुनाव जीतना पहला मकसद

बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे अब बीती बात हो गई है। फिलहाल पार्टी के लिए पहला और एकमात्र काम आगामी विधानसभा उपचुनाव है। प्रदेश में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। ये सीटें हैं सीसामऊ, मिल्कीपुर, करहल, कटेहरी, फूलपुर, मझवा, गाजियाबाद सदर, मीरापुर, खैर और कुंदरकी। इनमें से ज्यादातर सीटें विधायकों के लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनने की वजह से खाली हुई हैं। इन सीटों पर उपचुनाव जीतकर बीजेपी यह साबित करना चाहती है कि प्रदेश में जनता के बीच उसकी पकड़ कम नहीं हुई है। सूत्रों के मुताबिक नेतृत्व ने साफ कह दिया है कि प्रदेश में जो भी बदलाव होगा, वह इन उपचुनावों के बाद ही होगा।

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2. भाजपा नेतृत्व ने यूपी के लिए लिया ये फैसला

भाजपा नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि यूपी में मुख्यमंत्री नहीं बदला जाएगा, यानी योगी आदित्यनाथ अपने पद पर बने रहेंगे। राज्य के जातिगत समीकरणों और लोकसभा चुनाव के नतीजों के हिसाब से मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा। कुछ मंत्रियों के विभाग बदले जाएंगे और कुछ को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और नए चेहरों को मंत्री पद पर लाया जाएगा। प्रदेश संगठन में भी फेरबदल होगा। इसमें कुछ चेहरों को तत्काल हटाकर उनकी जगह नए चेहरे लाए जाएंगे। उपचुनाव खत्म होने के बाद संगठन के काम की विस्तृत समीक्षा होगी और नतीजे न लाने वाले चेहरों को हटाया जाएगा। फिलहाल बड़े बदलाव इसलिए भी नहीं किए जा रहे हैं क्योंकि केंद्रीय स्तर पर भी भाजपा संगठन में बदलाव हो रहा है। जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म हो चुका है और वे खुद केंद्रीय मंत्रिमंडल में पहुंच चुके हैं। उनकी जगह नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होना है। इस बदलाव में उत्तर प्रदेश से कई असंतुष्ट चेहरों को राष्ट्रीय स्तर पर जगह देकर संतुष्ट करने की योजना है।

3. मौर्य ने नड्डा तक पहुंचाया कार्यकर्ताओं का संदेश

भाजपा सूत्रों के मुताबिक केशव प्रसाद मौर्य ने जेपी नड्डा से मुलाकात में पार्टी कार्यकर्ताओं के मन की बात कही है। मौर्य ने नड्डा से कहा है कि प्रदेश में सरकार के कामकाज पर नौकरशाही हावी होने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर रहा है। उन्होंने कहा है कि आम कार्यकर्ताओं की तो छोड़िए, विधायकों और सांसदों तक की सुनवाई नहीं हो रही है। इसके चलते उन्होंने चेतावनी दी है कि 2027 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का वही हाल होगा जो लोकसभा चुनाव में हुआ था। मौर्य से मिली जानकारी के चलते नड्डा ने फिर प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी से मुलाकात की है।

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4. यूपी में फेरबदल से बचना

भाजपा नेतृत्व फिलहाल प्रदेश में कोई बड़ा फेरबदल नहीं करना चाहता, क्योंकि पार्टी की अंदरूनी कलह सामने आने पर विपक्षी दलों ने भी आक्रामक रुख अपना लिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर भाजपा के इस घमासान पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा की कुर्सी की लड़ाई की गर्मी में यूपी में शासन-प्रशासन ठंडे बस्ते में चला गया है। तोड़फोड़ की जो राजनीति भाजपा पहले अन्य दलों में करती थी, अब वही काम वह अपनी पार्टी के अंदर कर रही है। इसीलिए भाजपा अंदरूनी कलह के दलदल में धंसती जा रही है। भाजपा में जनता के बारे में सोचने वाला कोई नहीं है।’ भाजपा नेतृत्व का मानना ​​है कि अगर फिलहाल कोई बड़ा फेरबदल किया गया तो इससे विपक्षी दलों को और आक्रामक होने का मौका मिलेगा और जनता तक सही संदेश नहीं पहुंच पाएगा। इस वजह से भी कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है।

5. CM योगी के लिए उपचुनाव लिटमस टेस्ट

यूपी में भले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उनके पद से हटाया नहीं जा रहा हो, लेकिन विधानसभा उपचुनाव उनके लिए लिटमस टेस्ट माने जा रहे हैं। अगर इन चुनावों में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा तो उनके फैसलों पर सवाल उठ सकते हैं। अगर वो मुख्यमंत्री पद से नहीं हटते हैं तो भी उनकी स्वतंत्रता पर एक सीमा तक रोक लग सकती है। योगी आदित्यनाथ भी इस बात को समझते हैं और इसीलिए उन्होंने खुद विधानसभा उपचुनाव की कमान संभाली है।

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