इंडिया न्यूज, काठमांडू: केंद्र सरकार की भारतीय सेनाओं के लिए लाई गई स्कीम अग्निपथ का भारत में खूब विरोध हुआ। अभी भी केंद्र सरकार की इस नई योजना के खिलाफ सैकड़ों केस दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई अधीन हैं। केंद्र सरकार जहां देश के डिफेंस में इसे क्रांतिकारी कदम बता रही है वहीं युवा व उनके परिजन इसका विरोध जता रहे हैं। वहीं अब इस योजना का नेपाल में भी विरोध शुरू हो गया है।
केंद्र सरकार ने रक्षा विभाग में तीनों सेनाओं थल सेना, वायु सेना और जल सेना में इस नई योजना को लागू किया है। इसके तहत तीनों सेनाओं में युवाओं को 4 साल के लिए सेवा का मौका दिया जाएगा। इन चयनियत युवाओं में से 25 प्रतिशत को उनकी सेवाओं का देखते हुए आगे अपनी सेवा जारी रखने का अवसर दिया जाएगा। इस योजना के तहत चयनित युवक को अग्निवीर कहा जाएगा।
इसके तहत देश के लिए सेवाएं देने वाले युवकों को पेंशन, मेडिकल सुविधा (सेवामुक्त होने के बाद) नहीं दी जाएगी। युवाओं और उनके परिजनों का मानना है कि यह देश के युवा वर्ग के साथ अन्याय है। इतनी बड़ी संख्या में युवा 4 साल बाद बेरोजगार हो जाएगा और उसका भष्यि अंधकारमय हो जाएगा।
भारतीय युवाओं की तरह ही नेपाल के लोगों का भी मानना है कि चार साल की सर्विस के बाद युवा क्या करेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री देउबा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि युवा चार साल सेना में रहेंगे। इस दौरान वे अति आधुनिक हथियारों को चलाने में निपुण हो जाएंगे। ऐसे में जब वे 22 से लेकर 27 वर्ष की आयु में सेवामुक्त होकर घर आएंगे और कोई कार्य हाथ में नहीं होगा तो ऐसे में आपराधिक संगठन उनका गलत इस्तेमाल कर सकते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में 34 हजार नेपाली जवान भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वे अलग-अलग गोरखा रेजिमेंट का हिस्सा हैं। वर्तमान में करीब 1300 नेपाली युवाओं की भर्ती की जानी थी जोकि नेपाल सरकार द्वारा कोई जवाब न मिलने के कारण टालनी पड़ी है।
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