India News (इंडिया न्यूज),Akshardham Temple History: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार 10 सितंबर को अपनी पत्नी के साथ अक्षरधाम मंदिर का दर्शन किया। सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति ने बारिश के बीच मंदिर में जाकर हाथ जोड़े। उन्होंने रीति-रिवाज के साथ भगवान स्वामी नारायण के दर्शन किए। बता दें प्रधानमंत्री सुनक ने कहा था कि उन्हें हिंदू होने पर गर्व है। दिल्ली में बहुत सारी ऐतिहासिक धरोहर हैं। इनमें से एक अक्षरधाम मंदिर भी है। इस मंदिर की भव्यता दूर से ही दर्शकों का मन मोह लेती है।  दुनिया की सबसे विशाल हिंदू मन्दिर परिसर होने के नाते इसे गिनीज बुक ऑफ व‌र्ल्ड रिका‌र्ड्स में शामिल किया गया है। लेकिन आज हम आपको बता रहे इस मंदिर इतिहास।

क्या होता है ‘अक्षरधाम’ का अर्थ

‘अक्षरधाम’ का मतलब है ईश्वर का दिव्य निवास। ये भक्ति, पवित्रता और शांति के स्थान के रूप में जाना जाता है। नई दिल्ली में स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर को भक्ति सीखने और सद्भाव के लिए समर्पित किया गया है। इस मंदिर के आरकिटेक को देख कर ये अंदाजा लगाना आसान है कि इसे काफी ट्रेडिशनल तरीके से बनाया गया है। यहां आप भारत की पौराणिक सभ्यता को देख सकते हैं। कहा जाता है कि ये मंदिर भगवान स्वामीनारायण (1781- 1830) हिंदू धर्म के अवतार, देवता और महान संतों के लिए एक विनम्र श्रद्धांजलि है।

इतिहास

अक्षरधाम मंदिर के इतिहास में जाते हैं तो पता चलता है कि इसका निर्माण बी.ए.पी.एस. यानी बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था की ओर से किया गया हैं। इस मंदिर के निर्माण में भगवान स्वामीनारायण की अध्यात्म परम्परा के पांचवें उत्तराधिकारी “प्रमुखस्वामी महाराज” का महत्वपूर्ण भूमिका रही है। दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन 6 नवंबर साल 2005 में किया गया था। जिसे 8 नवंबर 2005 में आम जनता के लिए खोल दिया गया था।

अक्षरधाम की मूर्तियां

बाता दें अक्षरधाम में हर एक चीज़ को आध्यात्म से जुड़ा गया है। मंदिर हो, एग्जीबिशन हो और या गार्डन हो। अक्षरधाम में लगभग 200 मूर्तियां की स्थापना की गई है। अक्षरधाम का आध्यात्मिक आधार यह है कि प्रत्येक आत्मा एक दिव्य ज्योती है। चाहें परिवार वाले हों, पड़ोसी देश हो या फिर दुनियाभर के जीव ही क्यों न हो। जहां हर एक सेवा देवत्व की ओर बढ़ने में मदद कर सकती है। हर एक प्रार्थना खुद बेहतर बनने और ईश्वर के करीब जाने की ओर एक आह्वान है।

अक्षरधाम की यात्रा आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव

अक्षरधाम की यात्रा एक आध्यात्मिक रूप से समृद्ध अनुभव है। चाहें फिर प्रार्थना की शक्ति को महसूस करने में हो, अहिंसा की ताकत को महसूस करने में हो, हिंदू धर्म के प्राचीन सिद्धांतों के बारे में हो, या धरती पर भगवान के निवास की सुंदरता को निहारने में हो। हर एक चीज़ का आध्यात्मिक महत्व है।

म्यूजिकल फाउंटेन

बता दें यहां का म्यूजिकल फाउटेंन को खूब पसंद किया जाता है। इस फाउटेंन में तरह- तरह प्रकाश और पानी के भाव लोगों का मन जीत लेते हैं। इसमें लइट और पानी की मदद से कहानीयों को चित्रीत किया जाता है। इस शो को शाम के समय लगभग 25 मिनट के लिए दिखाया जाता है। इसे देखने के लिए टिकट खरिदना पड़ता है जिसका मुल्य 80 रुपये है। वहीं 4 से 11 साल के बच्चों के लिए 50 रुपये है वहीं 4 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए फ्री है। बता दें अक्षरधाम मंदिर सोमवार को बंद रहता है। और बाकी के दिनों में सुबह 10 से शाम 7 बजे तक एंट्री कर सकते हैं।

तथ्य और आंकड़े

  • अक्षरधाम को 6 नवंबर 2005 को खोल दिया गया था।
  • बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) ने इसे बनवाया था।
  • ये मंदिर HH Yogiji Maharaj (1892-1971 CE) से प्रेरित है।
  • इसके निर्माण में 300,000,000 वालंटियर ने सहयोग किया था।
  • दुनियाभर के 8000 से अधिक वालंटियर ने इसके निर्माण में किया सहयोग।
  • इसे नक्काशीदार बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनवाया गया ।
  • एग्जिबीशन में सीखाई जाती हैं भगवान स्वामीनारायण के जीवन और प्रार्थना, करुणा और अहिंसा से जुड़ी चीज़ें।
  • यहां खुले बगीचे, वॉटर बॉडीज और स्टाइल्ड कोर्टयार्ड है।

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