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Allahabad high court: शादी से पहले यौन संबंध बनाना इस्लाम में हराम, हाईकोर्ट की टिप्पणी, खारिज की याचिका

India News (इंडिया न्यूज़), Allahabad high court, प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में अंतर धार्मिक लिव-इन में रहने वाले जोड़े की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस्लाम में विवाह से पहले किसी भी प्रकार का यौन, वासनापूर्ण, स्नेहपूर्ण कृत्य जैसे चुंबन स्पर्श, घूरना वर्जित है […]

BY: Roshan Kumar • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज़), Allahabad high court, प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में अंतर धार्मिक लिव-इन में रहने वाले जोड़े की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अहम फैसला दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि इस्लाम में विवाह से पहले किसी भी प्रकार का यौन, वासनापूर्ण, स्नेहपूर्ण कृत्य जैसे चुंबन स्पर्श, घूरना वर्जित है औऱ यह इस्लाम में हराम बताया गया है। इसे व्यभिचार मानते हुए जिना का हिस्सा माना जाता है।

  • अध्याय 24 का हवाला दिया
  • लड़की हिंदू और लड़का मुस्लिम
  • दोनों का जान का खतरा बताया

कोर्ट ने कहा कि कुरान के अध्याय 24 के मुताबिक, व्यभिचार के लिए अविवाहित पुरुष और महिला के लिए 100 कोड़े की सजा है। विवाहित पुरुष और महिला के लिए सुन्नत के अनुसार पत्थर मारकर हत्या करने की सजा है। युवती की मां लिव इन रिलेशन से नाखुश है और इसके बाद दोनों के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया।

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Allahabad high court

हिंदू लड़की- मुस्लिम लड़का

हाईकोर्ट ने इस टिप्पणी के साथ दोनों की याचिका खारिज कर दी। 29 वर्ष हिंदू महिला और 30 वर्षीय मुस्लिम पुरुष ने याचिका दाखिल कर सुरक्षा की मांग की थी। हालांकि, दोनों ने कहां की वह फिलहाल शादी नहीं करने जा रहे।

जान का खतरा

हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम कानून में विवाह से पहले के संबंध को मान्यता नहीं दी जा सकती। दोनों ने आरोप लगाया कि लड़की की मां की कहने पर लखनऊ के थाना हसनगंज कि पुलिस उन्हें परेशान कर रही है। दोनों ने कोर्ट में कहा कि क्योंकि हम अलग-अलग इसलिए घरवालें रिश्ता स्वीकरा नहीं कर रहे। कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें खतरा है तो वह मामला दर्ज करवा सकते है।

संबंधित कोर्ट जाएं

कोर्ट ने यह भी कहा कि दोनों लोग संबंधित न्यायालय के समक्ष 156 (3) सीआरपीसी के तहत आवेदन कर सकते हैं या धारा 200 सीआरपीसी के तहत शिकायत दर्ज कराने के लिए भी स्वतंत्र हैं। जस्टिस संगीता चंद्रा और जस्टिस नरेंद्र कुमार जौहरी की डिवीजन बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी।

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