India News(इंडिया न्यूज़), Amit Shah: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक-2024 पर हुई बहस का जवाब दिया। उन्होंने कहा, हम सभी को यह स्वीकार करना होगा कि पिछले 10 वर्षों में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जो बदलाव हुए हैं, उसने हमें राष्ट्रीय के साथ-साथ क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति के रूप में उभारा है। यह विधेयक देश की सफलता की कहानी को लंबे समय तक बनाए रखने के लिए है। यहां कोई मुझे गलत न समझे, मैं सरकार की सफलता की कहानी की बात नहीं कर रहा बल्कि देश की सफलता की कहानी की बात कर रहा हूं। बहस का जवाब देते हुए उन्होंने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आने वाली है, जो भी करना है, हमें करना है।
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, कुछ सदस्यों ने सवाल उठाया कि संशोधन की क्या जरूरत है। मैं उनसे कहना चाहता हूं कि अगर समय रहते किसी इमारत की मरम्मत नहीं की जाती है तो वह गिर जाती है। उन्हें लगता है कि शायद वे आएंगे और इसे बदल देंगे लेकिन अगले 15-20 साल तक किसी की बारी नहीं आएगी। जो भी करना है, हमें करना है। आपदा प्रबंधन अधिनियम पहली बार 2005 में लागू किया गया था। इसके तहत एनडीएमए, एसडीएमए और डीडीएमए का गठन किया गया था।
उन्होंने कहा, अब चिंता जताई जा रही है कि सत्ता का केंद्रीकरण हो जाएगा। अगर आप पूरे विधेयक को ध्यान से पढ़ेंगे तो पाएंगे कि क्रियान्वयन की सबसे बड़ी जिम्मेदारी जिला आपदा प्रबंधन की है, जो राज्य सरकार के अधीन है। इसलिए संघीय ढांचे को कहीं भी नुकसान पहुंचने की संभावना नहीं है। आपदा प्रबंधन केंद्र और राज्य सरकार दोनों का विषय है। मैं पूरे देश को बताना चाहता हूं कि हम सिर्फ राज्यों को नहीं बल्कि सभी को जोड़ना चाहते हैं। विधेयक केंद्रीकरण नहीं है।
अमित शाह ने कहा, आपदा का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से है। ग्लोबल वार्मिंग की बात करें। हजारों सालों से हम प्रकृति के संरक्षण की बात करते आ रहे हैं। आपदाओं के तरीके और पैमाने बदल गए हैं, इसलिए उन्हें उसी हिसाब से बदलना होगा, इसलिए हम यह विधेयक लाए हैं। हम सभी लोगों से मिले 87 प्रतिशत सुझावों को स्वीकार करके यह विधेयक लाए हैं।
गृह मंत्री ने कहा, हम बिल का विरोध करने वालों से आग्रह करते हैं कि वे समझें कि यह सलाह खुद उनकी पार्टी ने दी है। हम रेडियो पर चेतावनी से हटकर मोबाइल पर चेतावनी की ओर बढ़ना चाहते हैं। हम एक ताकत के रूप में उभरे हैं। राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन पर और अधिक प्रयास होंगे। बिल में नैतिक जिम्मेदारी भी रखी गई है।