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इन चार पुजारी परिवारों के नाम की बात करें तो इनमे पैदीपल्ली, गोलापल्ली, पेद्दिन्थी और तिरुपतम्मा हैं। बता दें कि, ये परिवार पीढ़ियों से तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में अनुष्ठान करते आ रहे हैं। इन चार परिवारों के 23 पुजारी पूरे तिरुपति में राज करते हैं और यहां पर वह शानो-शौकत से रहते हैं, इसके बारे में विस्तार से बात करने से पहले हम मंदिर के बारे में बताते हैं।
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तिरुपति मंदिर में वंशानुगत पुजारी चार परिवार पैडिपल्ली, गोल्लापल्ली, पेद्दिन्ति और तिरुपतम्मा परिवारों से संबंधित हैं, जो मंदिर के पहले पुजारी गोपीनाथाचार्युलु के वंशज हैं। वे वैखानस आगम के विशेषज्ञ थे, जो मंदिर के अनुष्ठानों पर एक संहिता है। वैखानस आगम भगवान विष्णु से जुड़े मंदिरों में पूजा की दो परंपराओं में से एक है। इस परिवार के सदस्यों को अर्चक, मीरासी परिवार या वंशानुगत पुजारी के रूप में जाना जाता है। ये परिवार लगभग 2,000 वर्षों से तिरुमाला मंदिर और गोविंदराज स्वामी मंदिर से जुड़े हुए हैं। बता दें कि, इन परिवारों के सदस्यों को पारंपरिक रूप से मंदिर के अनुष्ठानों और रीति-रिवाजों के संरक्षक के रूप में देखा जाता है। वे दैनिक अनुष्ठान और विशेष समारोह करते हैं, जो मंदिर की प्रथाओं को नियंत्रित करने वाले आगम शास्त्रों का पालन सुनिश्चित करते हैं।
बता दें कि, तिरुपति मंदिर के मुख्य पुजारी ए वेणुगोपाल दीक्षितुलु हैं, जो गोल्लापल्ली वंशानुगत परिवार से हैं। वे 2018 में मुख्य पुजारी बने। इससे पहले मंदिर के मुख्य पुजारी डॉ. एवी रमन्ना दीक्षितुलु थे, जो गोल्लापल्ली परिवार से ही थे। उन्हें मंदिर के अनुष्ठानों का विशेषज्ञ कहा जाता था। उनके पास माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की डिग्री थी। उन्होंने अपने पिता की मृत्यु के बाद 1967 में पुजारी का पद संभाला था।
यह दावे के साथ तो नहीं लेकिन ऐसा माना जाता है कि उन्हें हमेशा टीटीडी की कुल कमाई में हिस्सा मिलता है। इतना ही नहीं, इन चार परिवारों के लोग टीटीडी के भीतर प्रभावशाली पदों पर भी हैं। माना जाता है कि इनकी संपत्ति करोड़ों में है। ये लोग बहुत शानो-शौकत से रहते हैं। दूसरे, इनका प्रभाव और ताकत भी बहुत है इसके साथ ही इनकी मुख्यमंत्री तक सीधी पहुंच है।
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