India News (इंडिया न्यूज) Bichhiya Vidhan Sabha Seat: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी पूरी हो चुकी है। लगभग सभी पार्टियों ने अपने योद्धाओं को चुनावी मैदान में उतार दिया है। वहीं कांग्रेस ने भी नवरात्र के पहले दिन अपने प्रत्याशिओं के नाम की घोषणा करने का ऐलान किया है। मध्यप्रदेश के 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होनी है। जिसका रिजल्ट 3 दिसंबर को जारी किया जाएगा। ऐसे में हमारे लिए मध्यप्रदेश की राजनीतिक इतिहास को जानना जरुरी है। आज हम मध्य प्रदेश के मंडला जिला के बारे में जानेंगे।
मंडला प्रदेश के पूर्वी भाग में बसा है। जिसके अंदर तीन विधानसभा सीटें आती है। ये सभी सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। इन तीन सीटों में से केवल एक सीट पर बीजेपी काबिज है। वहीं बिछिया सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। पिछली बार मिली हार से सबक लेते हुए इस बार बीजेपी ने भी खास प्लानिंग के साथ इस सीट पर अपने उम्मीदवार को उतारा है।
बिछिया सीट का इतिहास काफी खास रहा है। बिछिया की जनता ने यहां के दोनों मुख्य पार्टीयों को बराबर का मौका दिया है। 30 सालों के चुनावी इतिहास में हर बार जीत के मायने बदले हैं। हर पांच सालों में एक बार बीजेपी तो एक बार कांग्रेस के खाते में जीत मिली है। अब तक किसी भी पार्टी ने यहां एक लगातार दो चुनाव नहीं में जीत हासिल नहीं किया। ऐसे में इस बार यह देखना खास होगा की क्या कांग्रेस इतिहास रच पाती है या फिर पांपरिक सिलसिला जारी रहता है।
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव (2018) में बिछिया सीट पर कुल 13 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई थी। यहां का त्रिकोणीय मुकाबला काफी दिलचस्प रहा था। कांग्रेस की ओर से मैदान में खड़े नारायण सिंह पट्टा को 76,544 वोट मिले थें। वहीं बीजेपी के डॉक्टर शिवराज सिंह ने 55,156 वोट प्राप्त किया था। इन दोनों पार्टीयों को गोंडवाणा गणतंत्र पार्टी ने जबरदस्त टक्कर दिया था। गोंडवाणा पार्टी की ओर से मैदान में उतरे इंजीनियर कमलेश टेकम ने 32,417 वोट बटोरे थें। हालांकि इसके बावजूद गणतंत्र पार्टी को 21,388 से हार मिली। बिछिया सीट पर कुल 2,43,487 वोटर्स हैं।
बिछियी सीट की बात करें तो अब तक केवल एक बार बीजेपी ने लगातार दो जीत हासिल की है। 1985 में कांग्रेस ने इस सीट पर कब्जा किया। जिसके बाद 1990 में बीजेपी ने सत्ता हासिल की। वहीं 1993 के चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर से चुनाव में जीत हासिल की। जिसके बाद 1998 में कांग्रेस के तुलसीराम ने जीत हासिल की थी। तब से लेकर अबतक यह सिलसिला जारी है। 2003 के चुनाव में बीजेपी के पंडित सिंह धुर्वे ने जीत हासिल की। वहीं 2008 में बीजेपी को हार मिली और कांग्रेस जीत गई। जिसके बाद इतिहास दोहराते हुए 2013 में बीजेपी ने कांग्रेस को हराकर कर वापसी की लेकिन 2018 में एक बार बीजेपी हार गई।
पिछले चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी ने पहले ही अपने उम्मीदवार के नाम की घोषणा कर दी है। बीजेपी की ओर से डॉक्टर विजय आनंद मरावी को मैदान में उतारा गया है। हालांकि इनकी उम्मीदवारी के कारण क्षेत्र में नाराजगी का माहौल है। डॉक्टर विजय अपने राजनीतिक सफर में आने से पहले जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट थें। जहां से उन्होंने इस्तीफा देकर अपनी किस्मत आजमाई है। जिसके कारण लोग उन्हें बाहरी उम्मीदवार मान रहें हैं।
जबलपुर के मेडिकल कॉलेज में असिस्टेंट सुपरिंटेंडेंट थे और इस्तीफा देकर राजनीति में आए हैं. ऐसे में उन्हें बाहरी उम्मीदवार माना जा रहा है। इस चुनाव में बीजेपी का मकसद गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को वोट बटरोने से रोकना है। पिछले चुनाव में इसी पार्टी के कारण बीजेपी के वोट कटे थें और उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। बिछिया एक जनजातीय बाहुल्य इलाका है। जहां आम जीवन के लिए कृषि मुख्य भूमिका में है। वहीं छत्तीसगढ़ के सीमा से सटे होने के कारण नक्सली समस्या भी इस क्षेत्र के लिए आम है। यहां लगभग 70 प्रतिशत लोग आदिवासी समाज से आते हैं। जिसमें गोंड और बैगा जनजाति का काफी दबदबा है।
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