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India News(इंडिया न्यूज),Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो के दोषियों को वापस जेल भेजने के मामले में गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। राज्य सरकार ने इस मामले में समीक्षा याचिका दायर कर फैसले से गुजरात सरकार के खिलाफ की गई कठोर टिप्पणियों को हटाने की मांग की है।
8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों को वापस जेल भेजने का आदेश देते हुए गुजरात सरकार के समय से पहले रिहाई के आदेश को रद्द कर दिया था। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के मिलकर काम करने और आरोपियों के साथ मिलीभगत जैसी टिप्पणियां बेहद अनुचित हैं। कोर्ट की इन टिप्पणियों से राज्य सरकार की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। यह कार्रवाई मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आधार पर की गई।
सुप्रीम कोर्ट ने ही गुजरात सरकार से 2022 में छूट पर फैसला लेने को कहा था। 2022 के फैसले के चलते ही 1992 के छूट नियम लागू किए गए। राज्य सरकार ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कि गुजरात राज्य ने प्रतिवादी संख्या-तीन के साथ मिलकर काम किया, पूरी तरह अनुचित है। 8 जनवरी के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को मिली छूट रद्द कर दी थी और आदेश दिया था कि उन्हें दो हफ्ते के भीतर वापस जेल भेजा जाए।
2002 में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगों के वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं। वह गर्भवती भी थीं। इसी दौरान कुछ लोगों ने उनके साथ बलात्कार किया और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी। इस मामले में सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट दी गई थी और 15 अगस्त, 2022 को रिहा कर दिया गया था।
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