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Fixed sugarcane Prices: देश के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा, खरीद मूल्य में इतने रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी

BY: Rajesh kumar • LAST UPDATED : February 22, 2024, 5:24 am IST
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Fixed sugarcane Prices: देश के गन्ना किसानों को केंद्र सरकार का बड़ा तोहफा, खरीद मूल्य में इतने रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी

केंद्र ने गन्ने के खरीद मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की

India News(इंडिया न्यूज),Fixed sugarcane Prices: लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लेते हुए सत्र 2024-25 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 25 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। पहले प्रति क्विंटल गन्ने का खरीद मूल्य 315 रुपये था। अब यह बढ़कर 340 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने बुधवार को यह फैसला लिया।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसे गन्ने की ऐतिहासिक कीमत बताया और कहा कि यह सीजन 2023-24 के लिए गन्ने की एफआरपी से करीब आठ फीसदी और लागत से 107 फीसदी ज्यादा है। नई एफआरपी 10 फरवरी से प्रभावी होगी। इससे गन्ना किसानों की आय बढ़ेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले से पांच करोड़ से अधिक गन्ना किसानों और चीनी क्षेत्र से जुड़े लाखों अन्य लोगों को फायदा होगा। यह निर्णय किसानों की आय दोगुनी करने की मोदी की गारंटी को पूरा करने में भी सहायक होगा।

गौरतलब है कि भारतीय गन्ना किसानों को पहले से ही दुनिया में गन्ने की सबसे ज्यादा कीमत दी जा रही है। फिर भी सरकार घरेलू उपभोक्ताओं को सबसे सस्ती चीनी उपलब्ध करा रही है। सरकार के इस फैसले के बाद अब चीनी मिलें गन्ने की एफआरपी 10।25 फीसदी की रिकवरी पर 340 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान करेंगी। प्रत्येक 0।1 प्रतिशत अधिक वसूली के लिए किसानों को 3।32 रुपये की अतिरिक्त कीमत मिलेगी, जबकि प्रत्येक 0।1 प्रतिशत की कमी के लिए उतनी ही राशि काट ली जाएगी।

अनुराग ठाकुर ने कहा कि पिछले दस सालों में मोदी सरकार ने किसानों को उनकी फसल का सही समय पर सही दाम दिलाने का प्रयास किया है। पिछले सीजन यानी 2022-23 का 99।5 फीसदी गन्ना बकाया भुगतान किया जा चुका है। सरकार के नीतिगत हस्तक्षेप के कारण चीनी मिलें भी आत्मनिर्भर हो गई हैं और अब उन्हें कोई वित्तीय सहायता नहीं दी जा रही है।

पशुधन बीमा में सिर्फ 15 फीसदी प्रीमियम

केंद्र सरकार ने पशुधन बीमा को भी सरल बना दिया है। अब पशुपालकों को प्रीमियम का सिर्फ 15 फीसदी ही देना होगा। शेष राशि का भुगतान केंद्र और राज्य सरकारें 60 और 40 के अनुपात में करेंगी। पहाड़ी राज्यों में केंद्र सरकार 90 प्रतिशत प्रीमियम का भुगतान करेगी। बीमा किये जाने वाले पशुओं की अधिकतम संख्या भी बढ़ा दी गई है। भेड़-बकरियों की संख्या अब पांच से घटाकर 10 मवेशियों तक कर दी गई है। इससे पशुपालकों को न्यूनतम राशि चुकाकर अपने कीमती पशुओं का बीमा कराने में सुविधा होगी। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन का विस्तार किया है।

घोड़ा, गधा, खच्चर और ऊंट से संबंधित उद्यमिता के लिए व्यक्तियों, एफपीओ और कंपनियों को अब 50 लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी, जिसमें से लगभग आधी राशि अनुदान होगी। साथ ही इन पशुओं के नस्ल संरक्षण के लिए भी सहायता प्रदान की जाएगी। नस्ल सुधार और प्रजनन फार्म के लिए 10 करोड़ रुपये तक की सहायता दी जाएगी। इसके अलावा चारा बीज प्रसंस्करण, भंडारण और चारागाह को प्रोत्साहित करने के लिए निजी कंपनियों, स्टार्ट-अप, एफपीओ और सहकारी समितियों को 50 प्रतिशत सब्सिडी पर 50 लाख रुपये तक की पूंजी दी जाएगी।

इससे चारे संबंधी बुनियादी ढांचे का विकास किया जा सकेगा। शेष राशि की व्यवस्था लाभार्थी बैंकों से अथवा स्वयं कर सकता है। चारागाह क्षेत्रों को बढ़ाने के लिए गैर वन भूमि, बंजर, गैर कृषि योग्य भूमि में विस्तार के लिए राज्य सरकार को सहायता दी जाएगी। इससे देश में चारे की उपलब्धता बढ़ेगी।

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