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Sufi Islamic Board on CAA: सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष ने दी CAA पर प्रतिक्रिया, मंसूर खान ने केंद्र के फैसले का किया स्वागत

BY: Raunak Pandey • LAST UPDATED : March 15, 2024, 7:21 am IST
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Sufi Islamic Board on CAA: सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष ने दी CAA पर प्रतिक्रिया, मंसूर खान ने केंद्र के फैसले का किया स्वागत

America On CAA

India News(इंडिया न्यूज), Sufi Islamic Board on CAA: लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले भारत सरकार के द्वारा देश में सोमवार (11 मार्च) को नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए को लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया था. जिसके बाद से देश में राजनीतिक माहौल काफी गर्म हो गया है. सीएए पर धर्मगुरुओं और नेताओं की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई हैं. जहां एक तरफ सरकार के नुमाइंदो ने इस अधिनियम को ऐतिहासिक करार दिया है. वहीं, दूसरी तरफ विपक्षी नेताओं समेत मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सीएए का कड़ा विरोध किया है. इसी बीच सूफी इस्लामिक बोर्ड के अध्यक्ष मंसूर खान की भी सीएए को लेकर प्रतिक्रिया सामने आई है.

सूफी इस्लामिक बोर्ड ने सीएए का किया स्वागत

बता दें कि सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष मंसूर खान ने सीएए को लेकर कहा कि वर्षों तक प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के हक में सीएए को लागू किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जो नागरिक संसोधन अधिनियम लागू किया गया है वो तीन देशों से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के हक में किया गया है. सीएए के अंदर जो भी है वो बहुत हर्ष की बात है. जो भी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले नागरिक वहां बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं हैं और बहुत खराब परिस्थितियों में आकर यहां बसे हैं, उन्हें ही सिर्फ मान्यता दी जा रही है. सूफी इस्लामिक बोर्ड की तरफ से मंसूर खान ने कहा कि इस निर्णय के लिए हम भारत के गृह मंत्री को धन्यवाद देते हैं.

जानिए मंसूर खान ने क्या कहा?

मंसूर खान ने कहा कि जो लोग भी सीएए के विरुद्ध दुष्प्रचार कर रहे हैं. उन्हें शायद पता नहीं है कि विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका क्या है. उन्हें ये मालूम होना चाहिए कि इस बिल को कई साल पहले ही दोनों सदनों में निर्वाचित लोगों द्वारा पारित किया गया था. आज तोह सिर्फ उसको लेकर नियम-कानून बनाया गया है. देश में कुछ लोग मुस्लिमों को यह कहकर गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि वे अपनी नागरिकता खो देंगे. उनको ये बात मालूम होनी चाहिए कि यह एक नागरिकता बिल है जो सिर्फ दूसरे देश से आए प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को मान्यता देने जा रहा है.

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