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India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan-3: भारत का ऐतिहासिक मिशन चंद्रयान-3 लगातार सक्सेस की उड़ान भरते हुए चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग करने की तैयारी में है। लैडिंग के लिए उलटी गिनती शुरु हो गई है अब से कुछ ही घंटों में इसरो इस काम को अंजाम देगा। इसी बीच चंद्रयान-3 ने अपने आखरी चरणों का एक और मुकाम पास कर दिया है। आज (17 अगस्त) में प्रोपल्शन मॉड्यूल से सक्सेसफूली अलग हो गया है। प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद लैंडर मॉड्यूल (एलएम) ने कहा ने कहा, ” सवारी के लिए धन्यवाद, दोस्त!’
Chandrayaan-3 Mission:
‘Thanks for the ride, mate! 👋’
said the Lander Module (LM).LM is successfully separated from the Propulsion Module (PM)
LM is set to descend to a slightly lower orbit upon a deboosting planned for tomorrow around 1600 Hrs., IST.
Now, 🇮🇳 has3⃣ 🛰️🛰️🛰️… pic.twitter.com/rJKkPSr6Ct
— ISRO (@isro) August 17, 2023
प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग होने के बाद अब विक्रम लैंडर मॉड्यूल गोलाकर ऑर्बिट पर नहीं घूमेगा। हालांकि प्रोपल्शन मॉड्यूल गलातार महीनों और वर्षों तक चंद्रमा के ऑर्बिट का चक्कर लगाते हुए अपनी यात्रा जारी रखेगा। बता दें कि प्रोपल्शन मॉड्यूल का काम विक्रम लैंडर से लगातार कम्यूनिकेशन बनाए रखने से साथ डाटा जूटाने का होगा।
वहीं विक्रम लैंडर अब 30 km x 100 km की अंडाकार ऑर्बिट में चक्कर लगाने के लिए दो बार डीऑर्बिटिंग करेगा। यानी चंद्रमा के ऑर्बिट के सबसे करीबी बिंदू 30 किलोमीटर और सबसे दूर बिंदू 100 किलोमीटर पर दो बार ऊंचाई कम करेगा।
इससे पहले चांदमा के चारों तरफ Chandrayaan-3 का आखिरी वाला ऑर्बिट मैन्यूवर 16 अगस्त 2023 को किया गया था। इस दौरान चंद्रयान 153 km x 163 km की ऑर्बिट में था। जब लॉन्चिंग हुई थी, तब इसरो प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने कहा था कि चंद्रयान-3 को 100 किलोमीटर वाली गोलाकार ऑर्बिट में लाएंगे। उसके बाद प्रोपल्शन और विक्रम लैंडर मॉड्यूल अलग होंगे।
बताते चले कि चंद्रयान-3 को इसरो ने 14 जूलाई को श्री हरिकोटा से लॉन्च किया था। पृथ्वी से 38,400 किलोमीटर दूरी पर स्थित चंद्रमा तक पहुंचने में चंद्रयान-3 को 45 से 50 दिनों की यात्रा करनी पड़ रही है। इसरो की माने तो 23 अगस्त को विक्रम लैंडर चंद्रमा के साउथ पोल पर अपनी सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामियाब रहेगा।
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