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Chhath Puja संतान प्राप्ति, कुशलता और दीघार्यु की होगी कामना
इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Chhath Puja देश के पूर्वांचल राज्यों में खास स्थान रखने वाले महापर्व छठ की शुुरुआत सोमवार को सुबह नहाय-खाय से हो गई। इस त्योहार से लोगों की विशेष आस्था जुड़ी हुई हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ का व्रत संतान की प्राप्ति, कुशलता और उसकी दीघार्यु की कामना के लिए किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार षष्ठी तिथि को छठ व्रत की पूजा, व्रत और डूबते हुए सूरज को अर्घ्य के बाद अगले दिन सप्तमी को उगते सूर्य को जल देकर प्रणाम करने के बाद व्रत का समापन किया जाता है।
इस बार 8 नवंबर से व्रत शुरू हुआ है तथा 11 नवंबर सप्तमी तिथि को छठ पर्व के व्रत का पारणा किया जाएगा। हिंदू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को महाछठ का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्यदेव की बहन छट मैया और भगवान सूर्य की पूजा का विधान है।
शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए ये पर्व मनाया जाता है। ब्रह्मवेवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया।
सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया। इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है। प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मैया के नाम से जाना जाता है। शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है।
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