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Chhattisgarh Elections 2023: जानें क्या है छत्तीसगढ़ की जगदलपुर विधानसभा का इतिहास और राजनीतिक समीकरण….

Deepika Gupta • LAST UPDATED : October 12, 2023, 12:25 pm IST

India News ( इंडिया न्यूज़ ) Chattisgarh Election 2023 : छत्‍तीसगढ़ अलग राज्‍य बने हुए करीब 23 साल हो गए। वहीं, 23 सालों में विधानसभा के लिए चार बार चुनाव भी हो चुके है। इनमें 2003, 2008 और 2013 में लगातार तीन बार पूर्ण बहुमत के साथ बीजेपी सत्‍ता में आई है। इसके बावजूद राज्‍य की 90 में से 6 सीटें ऐसी हैं जिन्‍हें भाजपा आज तक जीत नहीं पाई है। इनमें से चार सीटों पर तो इतिहास में कभी भी कमल नहीं खिला है। वहीं, दो सीट ऐसी है जिन पर छत्‍तीसगढ़ राज्‍य निर्माण से पहले 1-2 बार भाजपा जीती है। अहम बात तो यहां कि जगदलपुर संभाग मुख्यालय होने की वजह से यहां संभाग के सभी विभागों के हेड ऑफिस मौजूद होते हैं। इस वजह से यहां चुनाव जीतने वाले प्रत्याशी का एक अलग ही दबदबा होता है।

बीजेपी का गढ़ रहा

जबलपुर कैंट कई सालों से बीजेपी का गढ़ रहा है। वहीं, पार्टी ने 1993 से लगातार इस सीट पर जीत हासिल की है। इस विधानसभा सीट पर भाजपा के कद्दावर नेता ईश्वरदास रोहाणी का खासा प्रभाव था। वो कई बार जबलपुर कैंट से विधायक चुने गए थे। साथ ही वो 2003 से लेकर 2013 तक मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष रहें थे।

वर्तमान विधायक अशोक रोहाणी

जानकारी के लिए बता दें, वर्तमान विधायक ईश्वरदास रोहाणी का 2013 में चुनाव से कुछ ही दिन पहले ही निधन हो गया था। जिसके बाद पार्टी उनके बेटे अशोक रोहाणी को यहां से मैदान में आए है। जहां अपने पिता की तरह अशोक रोहाणी की जीत होती है। बता दें कि अशोक रोहाणी जबलपुर कैंट से लगातार 2 बार चुनाव जीत चुके हैं।

विधानसभा का इतिहास

जगदलपुर विधानसभा में लगभग 1 लाख 93 हजार 167 मतदाता होते हैं। बता दें, ग्रामीण और शहरी क्षेत्र मिलाकर मतदाता की सूची हर वर्ष थोड़ी बढ़ती जरूर है। लेकिन जगदलपुर में भाजपा का हमेशा से गढ़ रहा है। वहीं, छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद जगदलपुर विधानसभा में साल 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के विधायक डॉ. सुभाउ राम कश्यप चुने गए थे। सबसे पहले विधायक डॉ शुभाऊ राम कश्यप के समय में यह सीट आदिवसियो के लिए आरक्षित था। वहीं, 2008 में अनारक्षित सीट होने से जगदलपुर विधानसभा में संतोष बाफना दो बार विधायक बने। फिर कांग्रेस पार्टी को 1993 से जबलपुर कैंट में लगातार चुनावी हार का सामना करना पड़ा। पिछले कुछ चुनावों की बात करें तो आलोक मिश्रा जो को 2008 और 2018 के चुनावों में कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में खड़े हुए थे, जीत हासिल करने में असमर्थ रहे। वहीं, 2013 में इस सीट पर बीजेपी और रोहणी परिवार के दबदबे के चलते कांग्रेस के सर्वेश्वर श्रीवास्तव को हार का सामना करना पड़ा था।

जानिए राजनीतिक समीकरण

बता दें, कैंट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र अपनी विविध आबादी के लिए जाना जाता है, यहां पर देश भर की विभिन्न जातियों और धर्म के लोग हैं। ऐतिहासिक ब्रिटिश-निर्मित चर्चों की उपस्थिति ने विभिन्न पृष्ठभूमि के लोगों को आकर्षित किया है, जिनमें एंग्लो-इंडियन ईसाई,बंगाली, पंजाबी, सिंधी, तमिल, तेलुगु, बिहारी और उत्तर प्रदेश के लोग शामिल हैं। जबकि मुस्लिम यहां की आबादी का केवल 4 परसेंट हैं, अनुसूचित जाति लगभग 13परसेंट है, और अनुसूचित जनजाति की संख्या लगभग 6 परसेंट है।

विधानसभा चुनाव परिणाम 2018

विजेता-अशोक रोहाणी (भाजपा), ( वोट मिले-71,898)
मुख्य-प्रतिद्वंद्वी- पं.आलोक मिश्रा (कांग्रेस), (वोट मिले-45,313)

विधानसभा चुनाव परिणाम 2013

विजेता-अशोक रोहाणी (भाजपा), (वोट मिले-83,676)
मुख्य-प्रतिद्वंद्वी-सर्वेश्वर श्रीवास्तव (कांग्रेस), (वोट मिले-29,935)

विधानसभा चुनाव परिणाम 2008

विजेता-ईश्वरदास रोहाणी (बीजेपी), (वोट मिले-57,200)
मुख्य-प्रतिद्वंद्वी-आलोक मिश्रा (कांग्रेस), (वोट मिले-32,469)

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