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India News (इंडिया न्यूज), CM Yogi Adityanath: उत्तर प्रदेश में इन दिनों सीएम योगी आदित्यनाथ अपने बड़े-बड़े फैसलों को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। मुख्यमंत्री के इन बड़े फैसलों में से एक है नजूल भूमि विधेयक (Nazool Land Bill), जो विधानसभा में पास हो गया है। इस बिल में लड़ाई उन जमीनों को लेकर है, जिनका संबंध राजाओं के दौर से है। इन जमीनों को लेकर सीएम योगी ने बिल तो बना दिया लेकिन ये उनके लिए बड़ी मुसीबत बन गया क्योंकि इसकी वजह से योगी के अपनों ने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। आगे जानें किन राजाओं से छीनी गई थीं ये जमीनें और क्यों लाना पड़ा इनके लिए बिल।
विधानसभा में पास होने के बाद नजूल भूमि बिल को प्रवर समिति को भेजना पड़ा है, जिसकी मांग खुद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने की थी। बताया जा रहा है कि इस बिल को पास करवाने के योगी के फैसले से कई बीजेपी नेता और सहयोगी दल के नेता नाराज हैं। सहयोगी पार्टी अपना दल (एस) और इसकी नेता अनुप्रिया पटेल ने भी इसका विरोध किया है।
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नजूल बिल के अंतर्गत आने वाली जमीनों का इतिहास भारत को आजादी मिलने से पहले का है। ये उस दौर की बात है जब देश भर में अंग्रेजी हुकूमत को विरोध हो रहा था। तब भारत में कई रियासतें थीं, इन पर राज करने वाले कई राजा अंग्रेजों के सपोर्ट में थे तो कई राजाओं ने एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध किया और क्रांतिकारियों को सपोर्ट दिया। जो राजा खिलाफ थे, उनके साथ अंग्रेजों ने जंग की। इस जंग में हारने वाले राजाओं की जमीनें छीन ली गईं, जो आज ‘नजूल लैंड’ के अंतर्गत आती हैं।
15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने के बाद अंग्रेजों के कब्जे से जमीनें तो छूट गईं लेकिन कई राजा इन जमीनों के कागजात नहीं दिखा पाए तो ये जमीने सरकार ने इन्हें ‘नजूल भूमि’ घोषित करके अपने कब्जे में ले लिया। अकेले यूपी में 25000 हेक्टेयर नजूल जमीनें हैं।
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बात करें सीएम योगी के बिल तो इसके लागू होने के बाद नजूल की जमीन फ्री होल्ड नहीं होगी, इसका नतीजा ये होगा कि नजूल जमीन पर मालिकाना हक के लिए चल रहे सारे कोर्ट केसेस रद्द हो जाएंगे। इस जमीन को लीज पर दिया जाएगा लेकिन लीज बढ़ाने और घटाने का फैसला पूरी तरह से सरकार पर होगा। इस जमीन की लीज की शर्त ये होगी कि इसे सिर्फ सार्वजनिक कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
इन जमीनों पर हो सकते हैं कौन से काम?
नजूल जमीनें, राज्य सरकार के अंतर्गत आती हैं लेकिन ये सीधे तौर पर सरकारों की संपत्ति भी नहीं मानी जाती हैं। इन जमीनों पर जनता के हित के लिए सार्वजनिक काम हो सकते हैं, जैसे लीज पर स्कूल, अस्पताल, पंचायत भवन और डिस्पेंसरी बनवाई जा सकती है।
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