India News (इंडिया न्यूज), Supreme Court On Bulldozer Action: सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में हो रहे बुलडोजर न्याय पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। दरअसल इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी। जिसपर सोमवार को सुनवाई हो रही थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि किसी घर को सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है, क्योंकि वह किसी आपराधिक मामले में आरोपी का है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे पेश हुए थे। उन्होंने अदालत से यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की कि पूरे देश में ‘बुलडोजर न्याय’ न हो।
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ को संबोधित करते हुए भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि किसी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि आरोपी किसी आपराधिक मामले में शामिल है। श्री मेहता ने कहा, “ऐसा विध्वंस तभी हो सकता है जब संरचना अवैध हो।”
Supreme Court
न्यायमूर्ति गवई ने सुनवाई के दौरान कहा कि, “अगर आप इसे स्वीकार कर रहे हैं, तो हम इसके आधार पर दिशा-निर्देश जारी करेंगे। सिर्फ इसलिए कि वह आरोपी है या दोषी है, विध्वंस कैसे हो सकता है।” वहीं इस मामले में न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पूछा कि ऐसे मामलों से बचने के लिए निर्देश क्यों नहीं दिए जा सकते। उन्होंने कहा, “पहले नोटिस, जवाब देने का समय, कानूनी उपाय तलाशने का समय और फिर विध्वंस।”
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इस मामले में सुनवाई करते हुए पीठ ने जोर देकर कहा कि वह अवैध निर्माण का बचाव नहीं कर रही है। “लेकिन ध्वस्तीकरण के लिए दिशा-निर्देश होने चाहिए।” याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और सीयू सिंह सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। उन्होंने दिल्ली के जहांगीरपुरी में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की ओर इशारा किया। वकीलों ने कहा कि कुछ मामलों में किराये पर दी गई संपत्ति को ध्वस्त कर दिया गया।
श्री सिंह ने कहा, “उन्होंने 50-60 साल पुराने घरों को ध्वस्त कर दिया क्योंकि मालिक का बेटा या किरायेदार इसमें शामिल था। एक मामला एमपी और एक उदयपुर का है।” इस मामले में अब अगली सुनवाई 17 सितंबर को होगी।
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