India News (इंडिया न्यूज़), Passport Corruption, दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई सीमा शुल्क के दो उपायुक्तों (DCP) और दो समाशोधन एजेंटों (Clearing Agents) के खिलाफ उचित सीमा शुल्क के भुगतान के बिना माल की निकासी (Passport Corruption) के लिए दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं।
यह आरोप लगाया गया है कि उन्होंने दो साल से अधिक समय से विदेश में रहने वाले लोगों के पासपोर्ट का उपयोग करके गलत काम किया। पहली FIR दिसंबर 2020 से अगस्त 2021 तक काम करने वाले तत्कालीन DCP दिनेश फुलदिया के खिलाफ दर्ज की गई थी और दूसरी FIR अगस्त 2021 से जुलाई 2022 तक काम करने वाले तत्कालीन DCP सुभाष चंद्रा के खिलाफ दर्ज की गई थी। वह रायगढ़ के न्हावा शेवा में जवाहरलाल नेहरू कस्टम्स हाउस (JNCH) में तैनात थे।
दोनों FIR में एक ही सह-आरोपी सुधीर पाडेकर और आशीष कामदार हैं। वे सीमा शुल्क समाशोधन एजेंट थे। दिनेश फुलदिया, वर्तमान में एनालिटिक्स एंड रिस्क मैनेजमेंट के Director के रूप में तैनात हैं। उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने नाम पर कई खर्चे/खरीदारी की हैं और उन खरीदों/खर्चों का भुगतान सुधीर पाडेकर के खाते से या उनके भाई स्वप्निल पाडेकर के खाते/क्रेडिट कार्ड के माध्यम से किया गया।
दिनेश ने वॉशिंग मशीन, मसाज चेयर, एप्पल हेडफोन, जूते, माइक्रोवेव और फ्लाइट टिकट खरीदे हैं। इसी तरह, सुभाष चंद्रा वर्तमान में मुंबई में Goods and Services Tax Intelligence (DGGI) महानिदेशालय में तैनात हैं, उन्होंने ‘हवाला’ चैनल का इस्तेमाल अपने परिचित व्यक्तियों के खाते में पैसे ट्रांसफर करने के लिए किया।
सीबीआई जांच में पाया गया है कि संदिग्ध निजी व्यक्तियों द्वारा “निवास स्थानान्तरण” प्रावधान के तहत शुल्क योग्य वस्तुओं का आयात किया गया था और उसी को दिनेश फुलदिया और सुभाष चंद्रा द्वारा जानबूझकर और बेईमानी से गलत तरीके से सरकार को नुकसान पहुंचाया गया था।
जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि उक्त निकासी एजेंट विभिन्न व्यक्तियों से पासपोर्ट प्राप्त करते हैं, जो दो साल से अधिक समय से विदेश में रहते हैं और अन्य अपात्र व्यक्तियों के घरेलू सामान की खेप की निकासी के लिए जानबूझकर और बेईमानी से उक्त पासपोर्ट का उपयोग करते हैं।
अन्य व्यक्तियों के पासपोर्ट का उपयोग करने के पीछे उद्देश्य यह है कि सीमा शुल्क प्रावधानों के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति दो साल से अधिक समय तक विदेश में रहता है तो वह निवास स्थानांतरण के तहत 5 लाख रुपये तक की छूट का दावा करके विदेशों से उपयोग किए गए घरेलू सामान का आयात कर सकता है। एक पासपोर्ट के बदले 15,000 रुपये का भुगतान किया जाता है। खाड़ी देशों में के पता का पासपोर्ट सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था।
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