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India News (इंडिया न्यूज), Delhi News: दिल्ली के जहांगीरपुरी में रविवार को निर्माण व विध्वंस से निकलने वाले मलबे को रिसाइकल कर टाइल्स, ईंट समेत अन्य उत्पाद बनाकर दोबारा इस्तेमाल करने के लिए देश के सबसे सी एंड डी वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट की शुरूआत की गई। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इस प्लांट का उद्घाटन किया।
करीब 7 एकड़ में फैला यह प्लांट देश का सबसे बड़ा प्लांट है, जहां प्रतिदिन दो हजार टन सी एंड डी वेस्ट की रिसाइक्लिंग की जा सकेगी। कंस्ट्रक्शन एवं डिमोलिशन से निकले मलबे को इस प्लांट में लाकर टाइल्स, ईंट समेत अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे, जिसका दोबारा इस्तेमाल किया जा सकेगा।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि दिल्ली में अभी करीब 6500 टन मलबा प्रतिदिन निकलता है। इस तरह का दिल्ली में यह चौथा प्लांट है इस प्लांट के रानीखेड़ा, शास्त्री पार्क और बक्करवाला में पहले से है। इन चारों प्लांट में करीब 5000 टन मलबे को प्रतिदिन रिसाइकिल करने की क्षमता है, जबकि दिल्ली में कुल 6500 टन मलबा रोज निकलता है।
इसके अलावा एक और प्लांट ओखला में बनाने का हैं प्लान, जिसकी क्षमता एक हजार टन होगा। इसके अलावा मौजूद चारों प्लांट्स की थोडी क्षमता बढाई जाएगी। इसके बाद दिल्ली में निकलने वाले सारे मलबे सी एंड डी वेस्ट रिसाइक्लिंब प्लांट में रिसाइक्लिंग हो सकेंगे और उसका वापस इस्तेमाल होगा।
इस तरह दिल्ली को मलबे से छुटकारा मिल जाएगा। दिल्ली में जितना मलबा निकलेगा, उसका प्लांट में रिसाइकिल होता जाएगा।कंस्ट्रक्शन एंड डिमोलिशन वेस्ट प्रोसेसिंग सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट (एसडब्ल्यूएम) नियम 2016 भारत में सतत विकास।
पर्यावरण संरक्षण और जिम्मेदार निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य संसाधन संरक्षण और मलबा के उचित निस्तारण को बढ़ावा देते हुए निर्माण और विध्वंस के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करना है। दिल्ली में करीब 6000-6500 टन प्रतिदिन (टीपीडी) मलबा निकलता है।
अभी दिल्ली में बुराड़ी के जहांगीरपुरी (2000 टीपीडी), रानी खेड़ा (1000 टीपीडी), शास्त्री पार्क (1000 टीपीडी) और बक्करवाला (1000 टीपीडी) में चार सी एंड डी वेस्ट रीसाइक्लिंग प्लांट हैं। इन प्लांट्स की करीब 5000 टीपीडी रिसाइक्लिंग की क्षमता है।
इसके अलावा,एमसीडी थेखंड, ओखला में1000 टीपीडी की क्षमता का एक और वेस्ट रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने की योजना है। इस प्लांट के चालू होने के बाद मलबे की रिसाइक्लिंग क्षमता दिल्ली में उत्पन्न होने वाले कुल मलबे के बराबर हो जाएगी।
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