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India News (इंडिया न्यूज़), Lok Sabha Election: दिल्ली में कांग्रेस ने जिन तीन सीट लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है उनमें चांदनी चौक को छोड़ बाकी दो पर पार्टी ने समझौते के तहत टिकट दिया लगता है। कन्हैया कुमार और उदित राज दोनों ऐसे नाम हैं जो कांग्रेस पर हमला कर नेता बने। कन्हैया CPI से राजनीति की शुरुआत की तो उदित राज ने बीजेपी से। पिछले चुनाव में टिकट कटने पर उदित बीजेपी से कांग्रेस में आए थे।इन दोनों को टिकट देने पुराने कांग्रेसियों में भारी रोष है।
पार्टी ने चांदनी चौक सीट से पुराने कांग्रेसी जे पी अग्रवाल को तो टिकट दे ठीक ठाक दांव खेला, लेकिन उत्तर पूर्वी दिल्ली से कन्हैया कुमार को मैदान में उतार बीजेपी के लिए राह आसान कर दी है। कांग्रेस ने दूसरी बार राजद नेता लालू यादव के दबाव में आ कर यह फैसला किया। इससे पूर्व बिहार की पूर्णिया सीट पर भी लालू के चलते कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा। इसकी वजह है पप्पू ने यादव ने निर्दलीय मैदान में उतर इंडी गठबंधन की राह मुश्किल कर दी है। कन्हैया कुमार दिल्ली की जगह बिहार के बेगूसराय से लड़ना चाहते थे, लेकिन लालू यादव के मना करने के बाद कांग्रेस ने उन्हें भाजपा के मनोज तिवारी के सामने उत्तर पूर्वी दिल्ली से मैदान में उतार दिया।
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कन्हैया कुमार ने कांग्रेस की खिलाफत कर अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। वामदल के टिकट पर वह बिहार से चुनाव भी लड़े, लेकिन जीत नहीं पाए। इसके बाद वह कांग्रेस में आ गए। जल्द ही राहुल गांधी के करीबी हो गए। राहुल ने उन्हें छात्र संगठन के प्रभार की जिम्मेदारी दे दी और अब दिल्ली से टिकट भी दे दिया। इस सीट के लिए संदीप दीक्षित और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अमरेंद्र सिंह लवली भी कोशिश कर रहे थे। संदीप की नजर चांदनी चौक पर भी थी। टिकट के चक्कर में संदीप और लवली ने उस आम आदमी पार्टी का समर्थन भी किया जिसने उनकी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पर गंभीर आरोप लगा राजनीति से बाहर कर दिया था।
आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित के खिलाफ मोर्चा खोल उन्हें भ्रष्टाचारी बता छवि को खराब किया था।जब यही केजरीवाल जेल गए तो संदीप दीक्षित और लवली ने गिरफ्तारी की खिलाफत कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। संदीप उम्मीद कर रहे थे कि ऐसा करने से पार्टी उन्हें टिकट दे देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। संदीप के साथ आम आदमी पार्टी की सबसे ज्यादा खिलाफत कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन ने की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें कर्नाटक से राज्यसभा दे दी। और उन्होंने अपने को दिल्ली की राजनीति से अलग कर लिया। नुकसान में रहे संदीप दीक्षित और लवली। देखना होगा कि आने वाले दिनों में संदीप क्या कदम उठाते हैं।
जहां तक चांदनी चौक का सवाल है तो जयप्रकाश अग्रवाल वहां से तीन बार सांसद रह चुके हैं। इस सीट पर दीक्षित के साथ महिला कांग्रेस की अध्यक्ष अलका लांबा की भी नजर थी। आलाकमान को इसके चलते इस सीट पर खासी मशक्त करनी पड़ी।कांग्रेस एक महिला को भी टिकट देना चाहती थी,ऐसे में अलका का पलड़ा भारी दिख रहा था।संदीप भी चर्चा में आए,लेकिन आखिर में टिकट जे पी अग्रवाल के हिस्से में गया।
जे पी इस सीट पर बीजेपी के प्रवीण खंडेलवाल को ठीक ठाक ठक्कर दे सकते हैं। लेकिन उत्तर पश्चिम में उदित राज बीजेपी के योगेंद्र चंदेलिया के मुकाबले कमजोर माने जा रहे हैं।हालांकि उदित बीजेपी से एक बार सांसद रह चुके हैं, लेकिन व्यक्तिगत छवि में चंदेलिया भारी दिखते हैं। इंडी गठबंधन ने दिल्ली से एक भी महिला को टिकट नहीं दिया जबकि भाजपा ने दो महिलाएं उम्मीदवार बनाई हैं। नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज और पश्चिम दिल्ली से कमलजीत सहरावत।
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