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Earthquake News: दिल्ली-एनसीआर में एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.6 मापी गई है और इसका एपिसेंटर जमीन से 156 किलोमीटर गहराई में अफगानिस्तान का फायजाबाद रहा। झटके इतने तेज थे कि लोग घबराकर अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए। भूकंप के झटके दिल्ली समेत उत्तराखंड, पंजाब में भी महसूस किए। हर जगह अफरा-तफरी का माहौल रहा। दो से तीन बार भूकंप के झटके महसूस किए गए। अब लोगों के मन में डर बैठने लगा है कि कहीं एक रिसर्चर द्वारा किया गया भविष्यवाणी तो सच नहीं हो रहा।
बता दें कि पिछले महीने तुर्की की तबाही के तुरंत बाद एक डच रिसर्चर ने भारत में भूकंप की भविष्यवाणी की थी। नीदरलैंड के रिसर्चर फ्रैंक हूगरबीट्स ने 3 फरवरी को ही ट्वीट कर कहा था कि तुर्की के बाद अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत में भूकंप के तेज झटके आ सकते हैं। उन्होंने यहां तक बताया था कि इनकी तीव्रता तुर्की वाले भूकंप से काफी तेज हो सकती है। हूगरबीट्स का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी तेज वायरल हुआ था। वीडियो में उन्हें दक्षिण एशिया में भूकंप के प्रभाव के बारे में बताते हुए देखा जा सकता है।
लगातार आ रहे भूकंप के पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वक्त में यह एनसीआर के लिए बड़े खतरे का संकेत है। लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। बताया जा रहा है कि दिल्ली-एनसीआर में धरती के अंदर प्लेटों के एक्टिव होने से ऊर्जा निकल रही है, जिससे रह-रहकर झटके महसूस हो रहे हैं।
बता दें कि भूकंप के लिहाज से 4 सिस्मिक जोन(2,3,4,5) में देश बंटा है। दिल्ली-एनसीआर जोन 4 में आता है। यह तबाही के मामले में दूसरे नंबर का जोन है। इस जोन में रिक्टर पैमाने पर सात से आठ तीव्रता का भूकंप आने की आशंका रहती है। दिल्ली-एनसीआर भूकंप के लिहाज से प्रबल खतरे वाले जोन हैं।
भूकंप के आने की मुख्य वजह धरती के अंदर प्लेटों का टकरना है। धरती के भीतर सात प्लेट्स होती हैं जो लगातार घूमती रहती हैं। जब ये प्लेटें किसी जगह पर आपस में टकराती हैं, तो वहां फॉल्ट लाइन जोन बन जाता है और सतह के कोने मुड़ जाते हैं। सतह के कोने मुड़ने की वजह से वहां दबाव बनता है और प्लेट्स टूटने लगती हैं। इन प्लेट्स के टूटने से अंदर की एनर्जी बाहर आने का रास्ता खोजती है, जिसकी वजह से धरती हिलती है।
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