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ED Director Case: बतौर ED डायरेक्टर 31 जुलाई तक ही काम कर सकेंगे संजय मिश्रा, कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाने को सुप्रीम कोर्ट ने ठहराया गैर-कानूनी

Priyanshi Singh • LAST UPDATED : July 11, 2023, 7:21 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़),ED Director Case: ईडी के निदेशक संजय मिश्रा 31 जुलाई तक ही बतौर ईडी डायरेक्टर अपनी सेवाएं दे सकेंगे। बता दें सरकार की तरफ से संजय मिश्रा के कार्यकाल को तीसरी बार बढ़ाने के फैसले को सुप्रिम कोर्ट ने गैर कानूनी करार दिया है।  शीर्ष अदालत का कहना है कि 2021 में एनजीओ कॉमन कॉज के मामले में जो फैसला उसने दिया था उसकी इस मामले में सरासर अवहेलना हुई है। कोर्ट ने कहा कि संजय मिश्रा केवल 31 जुलाई तक ही बतौर ईडी डायरेक्टर अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

इस पूरे मामले पर केंद्र सरकार का रूख

बता दें इस पूरे मामले को लेकर केंद्र सरकार का कहना है कि  संजय मिश्रा का जगह लेने के लिए किसी दूसरे अफसर की तलाश नहीं की गई है। सरकार का कहना है कि FATF जैसे मामलों में अभी काफी काम किया जाना बाकी है। मिश्रा इस मसले पर खुद काम कर रहे हैं। सरकार का ये भी कहना था कि संजय मिश्रा का दायित्व किसी दूसरे योग्य अफसर को दिया जाना है।

पांच साल तक का दिया जा सकता है एक्सटेंशन 

गौरतलब है 2021 में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबिलशमेंट एक्ट में हुए बदलाव पर सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी थी। इनमें संशोधन के जरिये केंद्र ने प्रावधान किया है कि ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों के निदेशकों को पांच साल तक का एक्सटेंशन दिया जा सकता है। कोर्ट का कहना था कि ऐसे अफसरों की नियुक्ति हाई लेवल कमेटी करती है। जनहित में अफसरों को सेवा विस्तार दिया जा सकता है लेकिन ऐसा क्यों किया गया, ये चीज सरकार को लिखित में देनी होगी। इसके बाद 17 नवंबर 2022 को सरकार ने 18 नवंबर 2023 तक के लिए संजय मिश्रा का कार्यकाल फिर बढ़ा दिया।

क्या है पूरा मामला 

बता दें सरकार के द्वारा ईडी निदेशक संजय मिश्रा को उनके कार्यकाल अवधी से ज्यादा एक्सटेंशन दिया गया था। जिसके खिलाफ कांग्रेस नेता जया ठाकुर, रणदीप सुरजेवाला, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, साकेत गोखले की तरफ से सुप्रिम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में सेंट्रल विजिलेंस कमीशन एक्ट और दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेबिलशमेंट एक्ट में हुए बदलाव को भी चुनौती दी गई थी। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी। शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई पर अपना फैसला रिजर्व रख लिया था।

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