India News (इंडिया न्यूज़), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से 24 और 25 अगस्त, 2023 को देश की राजधानी दिल्ली में फेस्टिवल ऑफ आइडियाज (Festival Of Ideas) कॉन्क्लेव का आजोयन किया जा रहा है। इस कॉन्क्लेव में देश के तमाम क्षेत्रों के दिग्गज लोग (Festival Of Ideas) अपने विचारों को देश की जनता के साथ साझा करेंगे। साथ ही लोगों के सवालों का जवाब भी देंगे। बीते दिन कई दिग्गजों ने जनता के साथ अपने विचारों को साझा किया।
पूर्व आईपीएस और पांडिचेरी की पूर्व उप- राज्यापाल डॉ॰ किरण बेदी ने पांडिचेरी के अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि पांडिचेरी देश का एक खूबसूरत पार्ट है। पांडिचेरी को वो नहीं मिल रहा जो वो डिजर्व करता है। वहां के लोग साधारण है और अच्छी सरकार चहाते है। लेकिन उन्हें जो मिलना चाहिए वो नहीं मिल रहा है।
Festival Of Ideas
उन्होंने कहा कि जब में पांडिचेरी की उप-राज्यपाल थी तो किसी खास लक्ष्य से वहां गई थी। जब मैंने वहां ज्वाईन किया तो मैंने कहा प्रस्पोज् पांडिचेरी जिसका मतलब है कानून का नियम,भी को समान रखना, अधिकारियों की खुल कर लोगों के सामने जवाबदेही। जब वहां मैंने ये मिशन स्टेटमेंट दिया तो वहां हम सब ने इसी स्टेटमेंट के साथ रहना शुरु कर दिया।
उन्होंने कहा कि मेरा राजनिवास सभी लोगों के लिए खुला रहा और जो पहले आते में सभी की बाते सुना करती थी और सब कुछ वहीं से सहीं होना शुरु हो गया। वहां के बच्चे से लिए मां तक ये महशूस करने लगी थी कि अगर हमें कुछ चाहिए तो हमारे पास एलजी हैं। उन्होंने कहा कि मेरा राजनिवास सभी के लिए एक ऑपन थियेटर की तरह हो गया था, जिसमें सभी बच्चें शाम को आकर खेलते थे। उन्होंने कहा कि जब किसी बच्चें का जन्मदिन रहता तो मैं बच्चे के अपनी उप-राज्यपाल की कुर्सी में बैठाया करती थी।
उन्होंने तिहाड़ जेल के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि हमारी शरीर ही बुद्धि का चालक है और सारे क्राइम हमारी बुद्धि से ही निकलते है। इसी लिए मैनें उन लोगों के रहन-सहन में बदलाव किए उन्हें योगा और अध्यात्म से जोड़ा। उन्होंने कहा कि मैंने 1993 में उन लोगों को योगा के बारे में बताया। उस वक्त हर कोई सुबह-सुबह योगा, खेल और पढ़ाई किया करते थे और शाम को अध्यात्म और सत्संग किया करते थे। जिसके बाद जो लोगों के पास शिक्षा नहीं थी वो भी शिक्षत होने लगे थे। अगर आप उन लोगों को कुछ अच्छा नहीं दोगे और अकेला छोड़ देंगे तो वो क्या करेंगे।
उन्होंने कहा कि मैने जब तिहाड़ जेल में गई थी तो वहां 50 प्रतिशत से ज्यादा लोग निगेटिव स्मोक किया करते थे, लेकिन ये मेरे लिए एक बड़ी चुनौती बन गई थी। मगर मैं लग छुड़ने में भी कामयाब रही और मैने तिहाड़ में नो स्मोकिंग जोन बना दिया।
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