India News(इंडिया न्यूज), Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र की महायुति सरकार में दरार थमने का नाम नहीं ले रही है। सरकार बनने के बाद से ही डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की नाराजगी की खबरें आ रही हैं। फिर अजित पवार की पार्टी एनसीपी कोटे से मंत्री धनंजय मुंडे को लेकर गठबंधन में दरार पड़ गई। अब मंत्रियों के निजी सचिवों और ओएसडी के मुद्दे पर फिर से दरार के संकेत मिल रहे हैं। दरअसल, विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूरे एक्शन में हैं। वह एकनाथ शिंदे और अजित पवार जैसे सच्चे नेताओं की मौजूदगी में भी सरकार पर अपनी पकड़ मजबूत रखना चाहते हैं।
फडणवीस सरकार में शिंदे और पवार दोनों ही डिप्टी सीएम हैं। लेकिन, फडणवीस दोनों को किसी भी मुद्दे पर कोई ढील नहीं देना चाहते हैं। इसी के चलते पिछले दिनों पालक मंत्रियों की नियुक्ति को लेकर विवाद हुआ था। अब मंत्रियों के निजी सचिवों और ओएसडी की नियुक्ति पर विवाद देखने को मिल रहा है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि, देवेंद्र फडणवीस ने सभी मंत्रियों को सूचित किया है कि किसी भी दागी व्यक्ति को किसी का विशेष अधिकारी (ओएसडी) और निजी सचिव नहीं बनने दिया जाएगा।
Devendra Fadnavis (महाराष्ट्र सरकार में सिर फुटव्वल शुरू)
उन्होंने स्पष्ट किया है कि मंत्रियों के ओएसडी और निजी सचिव को चुनने का अधिकार मुख्यमंत्री के पास है। दरअसल, यह मामला तब उठा जब माणिकराव कोकाटे ने इस पर सवाल उठाया। एक कार्यक्रम में माणिकराव कोकाटे ने दुख जताया कि अब उनके पीए और ओएसडी भी सीएम तय कर रहे हैं। माणिकराव कोकाटे राज्य के कृषि मंत्री हैं और अजीत पवार की पार्टी एनसीपी के कोटे से मंत्री बने हैं। एक कार्यक्रम में नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे निजी सचिव और ओएसडी की नियुक्ति भी मुख्यमंत्री ही तय कर रहे हैं। इसलिए हमारे हाथ में कुछ नहीं बचा है। कोकाटे ने कहा कि अब आप या मेरे जैसे लोगों का सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
जब मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से कृषि मंत्री के बयान के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मंत्री को शायद यह नहीं पता कि मंत्रियों के निजी सचिव और ओएसडी की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को है। नियमों के मुताबिक मंत्री निजी सचिव और ओएसडी की नियुक्ति से जुड़ा प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजते हैं और मुख्यमंत्री ही अंतिम मंजूरी देते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक मुझे 125 नाम मिले हैं, जिनमें से 109 नामों को मंजूरी मिल गई है। जबकि बाकी नामों को मंजूरी नहीं मिली है। क्योंकि उनके खिलाफ किसी तरह के आरोप हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ किसी तरह की जांच भी चल रही है।
मुख्यमंत्री ने साफ किया कि अगर कोई नाराज है…तो इससे उन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। वह विवादित नामों को मंजूरी नहीं देंगे। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों के खिलाफ जांच चल रही है या कुछ आरोप हैं, उनके नामों को लेकर धारणा फिक्सर की है।
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