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विदेश मंत्री जयशंकर ने विदेश नीति समझाने के लिए लिया क्रिकेट का सहारा, 1983 की जीत को बताया अहम मोड़

Foreign Minister S. Jaishankar: भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की विदेश निति को क्रिकेट के जरिये दिलचस्प तुलना करते हुए समझाया है।

BY: Yogita Tyagi • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Foreign Minister S. Jaishankar: यह बात अब साफ हो चुकी है कि आईसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी 2025 की मेजबानी पाकिस्तान करेगा। लेकिन ये टूर्नामेंट पाकिस्तान में खेला जायेगा या नहीं यह संशय अभी तक बना हुआ है। BCCI भी यह साफ कर चुका है कि भारतीय क्रिकेट टीम टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान नहीं जाएगी। अब देखना यह होगा कि चैम्पियंस ट्रॉफी को लेकर इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल (ICC) 29 नवंबर को कोई बड़ा फैसला लेगी या नहीं।

भारतीय विदेश नीति को क्रिकेट के जरिये समझाया

यह बात तो हमेशा से साफ रही है कि भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट और राजनीतिक संबंध हमेशा से तनावपूर्ण रहे हैं। अब भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ की आत्मकथा ‘फियरलेस’ विमोचन के अवसर पर भारत की विदेश निति को क्रिकेट के जरिये दिलचस्प तुलना करते हुए समझाया है। विदेश मंत्री जयशंकर ने 1983 के वर्ल्ड कप को एक निर्णायक मोड़ बताया और कहा कि इसने भारतीय क्रिकेट को एक नई दिशा दी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि, ‘आपने कहा कि आप लोग उनसे अधिक बढ़िया खेल सके क्योंकि पारंपरिक साइड-ऑन पोजिशन के मुकाबले आप ओपन-चेस्टेड पोजिशन पर आए। उस समय पाकिस्तान नीति के लिए मुझे इससे सही वर्णन नहीं मिल सकता था। उनके कहने का अर्थ यह था कि अब पाकिस्तान के सामने भारत खुलकर क्रिकेट खेलता है।’

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1983 की वर्ल्ड कप जीत को बताया टर्निंग पॉइंट

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साल 1983 में भारत की वर्ल्ड कप जीत को एक टर्निंग पॉइंट कहा है। उन्होंने कहा, ‘इसको सिर्फ एक निर्णायक मोड़ नहीं कहेंगे बल्कि यह एक निर्णायक मोड़ का मैन ऑफ द मैच कहा जायेगा। एक बार पाकिस्तान ने जीत हासिल की और एक बार श्रीलंका ने जीत हासिल की है, परन्तु सम्पूर्ण क्रिकेट इतिहास में इतना बड़ा निर्णायक मोड़ कभी देखने को नहीं मिला। यदि आप 1983 के बाद विश्व क्रिकेट में भारत का रोल देखेंगे तो पाएंगे कि यह मौलिक रूप से बहुत बदला है।’ उन्होंने विदेश नीति को शतरंज की बजाय क्रिकेट की तरह बताया है। विदेश मंत्री ने आगे कहा कि, ‘यह पूरी तरह से क्रिकेट की तरह है क्योंकि यदि आप गौर करेंगे तो पाएंगे कि इसमें कई खिलाड़ी होते हैं। खेल की परिस्थितियां हमेशा बदलती रहती हैं। घर और विदेश में खेलने में बहुत अन्तर होता है। कई बार आप अंपायर के हिसाब से चलते हैं। यह बहुत हद तक मनोविज्ञान पर निर्भर करता है। दूसरी टीम को हराने का प्रयास करना, उनके दिमाग में घुसकर उनकी प्लानिंग के बारे में सोचना। जब भी आप मैदान में जाते हैं, तो प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न होने लगती है।’ साल 1982 में भारतीय क्रिकेट टीम छह टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए पाकिस्तान दौरे पर गयी थी जिसमें भारत को 3-0 से हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि इसके महज एक साल बाद 1983 में कपिल देव के कप्तान रहते हुए टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया था।

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