India News (इंडिया न्यूज़) Ghosi By -Election: उत्तर प्रदेश के घोसी में समाजवादी पार्टी ने चुनाव जीतकर अपना परचम लहरा दिया है। उनके प्रत्याशी सुधाकर सिंह को बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान से ज्यादा वोट मिले. बता दे की सुधाकर सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी सिंह चौहान को रिकॉर्ड 42,759 वोटों से शिकस्त दी है। यह चुनाव दोनों पार्टियों के कई नेताओं के लिए अहम था। यह दो दलों के बीच लड़ाई की तरह था। नतीजा बीजेपी के लिए तो अच्छा नहीं रहा, लेकिन अखिलेश यादव के लिए ये बड़ी जीत रही। इस चुनाव ने आगामी लोकसभा चुनाव के बारे में सोचने का एक नया तरीका भी दिया। लोग चर्चा कर रहे हैं कि इस जीत का हीरो किसे माना जाए, शिवपाल यादव को या फिर अखिलेश यादव को। इस चुनाव में बीजेपी के कई बड़े नेता शामिल थे।
बता दे कि शिवपाल यादव एक ऐसी योजना लेकर आए जिससे उनकी पार्टी, सपा को घोसी में जीत हासिल करने में मदद मिली। उन्होंने कई लोगों से बात की और उन्हें अपनी पार्टी को वोट देने के लिए मनाया। यहां तक कि उन्होंने अधिक लोगों से मिलने के लिए छोटे गांवों में शिविर भी लगाए। वह हर किसी के साथ अच्छा व्यवहार करते थे, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। जिस कारण बीजेपी को काफी वोटों से शिकस्त मिली। शिवपाल यादव को अब उनकी पार्टी में एक बहुत ही महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में देखा जाता है और उनकी रणनीति ने सुधाकर सिंह को कार्यालय के लिए टिकट दिलाने में मदद की। भाजपा ने एक खास गुट से उम्मीदवार चुनकर गलती की, जबकि सपा ने दूसरे गुट से उम्मीदवार चुना। इससे अधिक लोगों ने सपा को वोट दिया और भाजपा को अपने कुछ समर्थकों को खोना पड़ा।
हालिया चुनाव नतीजों पर चर्चा हो रही है और लोग यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि बीजेपी क्यों हारी। कुछ लोग सोचते हैं कि यह दारा सिंह चौहान की वजह से है, जबकि कुछ लोग सोचते हैं कि यह ओम प्रकाश राजभर की वजह से है। मंचो से राजभर कहते रहे कि चौहान नहीं बल्कि ओम प्रकाश राजभर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन सभी ने उनकी बात पर विश्वास नहीं किया। राजभर को भी अपने समुदाय से पूरे वोट नहीं मिले क्योंकि वह दूसरों पर हमला करने में बहुत व्यस्त थे। यही कारण है कि सपा पार्टी नतीजों के लिए राजभर को सबसे ज्यादा जिम्मेदार ठहरा रही है। उन्होंने अपने कार्यालय के बाहर राजभर को धोखेबाज बताते हुए एक बड़ा होर्डिंग भी लगा दिया।
चुनाव हारने के बाद यूपी सरकार के मंत्री संजय निषाद ने दारा सिंह पर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मतदाताओं ने अपने राजनीतिक दल के बजाय उम्मीदवार की शक्ल के आधार पर चुना कि किसे वोट देना है। इलाके में लोगों में यह भी चर्चा रही कि प्रत्याशी उनके समुदाय का है या कहीं और का। उन्होंने यह भी कहा कि दारा सिंह का इतनी बार राजनीतिक दल बदलना हार का कारण बना। दारा सिंह चार अलग-अलग पार्टियों – एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और बीजेपी में रह चुके हैं। इस बार वह वापस भाजपा में चले गए। एसपी पार्टी के समर्थकों ने अपने प्रतिद्वंद्वी को “घरेलू” उम्मीदवार बताया। जिसका असर चुनाव के नतीजों पर पड़ा।
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