India News (इंडिया न्यूज़), Jammu-Kashmir, दिल्ली: केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में किसी भी समय चुनाव के लिए तैयार है और निर्णय भारत के चुनाव आयोग और राज्य चुनाव पर निर्भर करता है। अदालत अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की (Jammu-Kashmir) संविधान पीठ को बताया कि जम्मू और कश्मीर में मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया जारी है और इसे पूरा होने में एक महीना लगेगा।
सॉलिसिटर जनरल ने आगे कहा कि राज्य चुनाव आयोग और भारतीय चुनाव आयोग मिलकर चुनाव के समय पर फैसला लेंगे। उन्होंने बताया कि त्रिस्तरीय चुनाव (Jammu-Kashmir) होना है। राज्य में पहली बार त्रिस्तरीय पंचायत राज प्रणाली शुरू की गई है। सबसे पहले चुनाव पंचायतों के होंगे। इसके बाद नगर निगम के चुनाव होने है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव होने की आशंका है।
केंद्र ने यह भी कहा कि वह जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई टाइम नहीं बताया जा सकता, लेकिन स्पष्ट किया कि केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा अस्थायी है। केंद्र ने आज पीठ को बताया कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा दिलाने के लिए केंद्र सरकार कदम उठा रही है और ये कदम तभी उठाए जा सकते हैं जब वह केंद्र शासित प्रदेश हो। उन्होंने कहा कि इसे पूर्ण राज्य बनाने के लिए विकास कार्य हो रहे हैं।
Petitions challenging the abrogation of Article 370 in SC | Solicitor General Tushar Mehta, appearing for Centre, tells Supreme Court that it is ready for elections in Jammu and Kashmir at any time now. pic.twitter.com/mhiqqWPBbf
— ANI (@ANI) August 31, 2023
एसजी ने केंद्र द्वारा उठाए गए विभिन्न कदमों के बारे में बताते हुए कहा कि 2018 से 2023 की तुलना में आतंकवादी घटनाओं में 45.2 प्रतिशत की कमी आई है और घुसपैठ में 90 प्रतिशत की कमी आई है। पथराव आदि जैसे कानून एवं व्यवस्था के मुद्दों में 97 प्रतिशत की कमी आई। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कर्मियों की हताहतों की संख्या में 65 प्रतिशत की कमी आई है।
2018 में पथराव की घटनाएं 1767 थीं, जो अब शून्य हैं। युवाओं को अब लाभकारी रोजगार मिल रहा है और पहले उन्हें अलगाववादी ताकतों द्वारा गुमराह किया जाता था। सॉलिसिटर जनरल ने पीठ को बताया कि 2018 में संगठित बंद आदि 52 थे और अब यह शून्य है। मेहता ने कहा, 2022 में 1.8 करोड़ पर्यटक आए और 2023 में 1 करोड़ पर्यटक आए।
दूसरी ओर, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के खिलाफ याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि सरकार ने 5,000 लोगों को घर में नजरबंद कर दिया है, धारा 144 लगा दी गई है, इंटरनेट बंद कर दिया गया है और लोग अस्पतालों में नहीं जा सकते हैं। आइए हम लोकतंत्र का मजाक न बनाएं और बंद आदि के बारे में बात न करें।
CJI चंद्रचूड़ ने तब स्पष्ट किया कि वह संवैधानिक आधार पर अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की वैधता से निपटेंगे और चुनाव या राज्य से संबंधित तथ्य उस निर्धारण को प्रभावित नहीं करेंगे। 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने और क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों (एएनआई) में विभाजित करने की घोषणा की।
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