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Hajipur Lok Sabha Seat: देवताओं के नामों का दिलचस्प राजनीतिक संग्राम, जानिए हाजीपुर सीट किसका रहा गढ़- Indianews

Vijayant Shankar • LAST UPDATED : May 18, 2024, 2:40 pm IST
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Hajipur Lok Sabha Seat: देवताओं के नामों का दिलचस्प राजनीतिक संग्राम, जानिए हाजीपुर सीट किसका रहा गढ़- Indianews

Hajipur Lok Sabha Seat

India News (इंडिया न्यूज), Hajipur Lok Sabha Seat: बिहार की राजनीतिक रणभूमि में, हाजीपुर लोकसभा सीट एक अनोखी कहानी बयां करती है। 40 लोकसभा सीटों में से एक, हाजीपुर सीट का इतिहास हिन्दू देवताओं से जुड़ा हुआ है, यहाँ के मतदाता उन नेताओं को अपना आशीर्वाद देते हैं जिनके नाम में भगवान राम या शिव का नाम शामिल होता है। अब इसे संयोग कहें या कुछ और, यह तो चर्चा का विषय है, लेकिन यह भारत के चुनावी इतिहास में एक दिलचस्प पहलू जरूर बन गया है। लेकिन यह सच है कि कई दशकों से, हाजीपुर के मतदाताओं का देवी-देवताओं के प्रति गहरा विश्वास है और वे उन्हीं के नामों वाले नेताओं को अपना आशीर्वाद देना पसंद भी करते हैं।

हाजीपुर सीट पर देवताओं के नामों का राजनीतिक संग्राम

बता दें कि, पिछले 16 चुनावों में स्व. रामविलास पासवान 8 बार इसी सीट से विजयी रहे हैं। वहीं 1977 से 2014 के बीच हुए 11 लोकसभा चुनावों में भी, इस क्षेत्र के चुने हुए नेताओं के नाम में भी ‘राम’ शब्द शामिल था। पासवान के अलावा, दो और ‘राम’ थे – राम रतन राम जिन्हें 1984 में चुना गया था, और राम सुंदर दास जिन्हें 1991 और 2009 में जितया गया था। कांग्रेस पार्टी ने भी इस सीट से 4 बार जीत जीत हासिल की है 1957, 1962, 1967 और 1971 में। इस सीट से चुने जाने वाले पहले नेता थे कांग्रेस के राजेश्वर पटेल, जिन्हें 1957 और 1962 में चुना गया था। दिलचस्प बात यह है कि ‘राजेश्वर’ नाम हिंदू धर्म में भगवान शिव से जुड़ा हुआ है।

इस सीट पर किसका रहा गढ़

इतिहास इस बात को सोचने पर मजबूर कर देता है कि क्या लोकसभा चुनाव में भी, भगवानों के नाम की भूमिका हो सकती है? यह बात है 1967 की, जब वाल्मीकि चौधरी इस सीट से चुने गए थे। (वाल्मीकि, जिन्होंने रामायण की रचना की थी)। इसके बाद 1971 में कांग्रेस के दिग्विजय नारायण सिंह ने इस सीट से जीत हासिल की। उनके नाम में ‘नारायण’ भगवान विष्णु का ही नाम है, जो एक अद्वितीय और रोचक संयोग है। यह सारी जानकारी और तथ्य हमें बताते हैं कि हाजीपुर की राजनीति में उम्मीदवारों के नाम भी एक अहम भूमिका निभाते हैं। अब सोचिए, अगर नाम में भगवान हो और जनता का प्यार साथ हो, तो जीत तो पक्की ही होगी।

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इस सीट पर रामविलास पासवान 9 बार जीते चुनाव

साल 1977 में स्व. रामविलास पासवान का जनता पार्टी के सदस्य के रूप में हाजीपुर लोकसभा सीट पर प्रवेश हुआ। 1980 में, उन्हें जनता पार्टी (सेक्युलर) के उम्मीदवार के रूप में फिर से चुना गया था। 1984 में, स्वतंत्रता सेनानी और कांग्रेस नेता राम रतन राम को हाजीपुर ने चुना। यह उन दो मौकों में से एक था जब पासवान लोकसभा चुनाव हार गए थे। दूसरी बार 2009 में, जनता दल (यूनाइटेड) के राम सुंदर दास ने पासवान को हराकर चुनाव जीता था। रामविलास पासवान को 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999 और 2004 में इस सीट से चुना गया था। 2009 में हार के बाद, वे 2014 में फिर से चुने गए। कुल मिलाकर, पासवान 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं और इनमें से 8 बार यह जीत इसी हाजीपुर सीट से मिली थी।

पासवान के बाद भाई पाशुपति ने संभाली कमान 

बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट दिवंगत रामविलास पासवान के नाम से हमेशा जुड़ी रहेगी। 1977 में पहली बार जीत का स्वाद चखने के बाद, रामविलास पासवान ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 8 बार इसी सीट से लोकसभा सदस्य चुने गए। 1984 और 2009 को छोड़कर, 1977, 1980, 1989, 1996, 1998, 1999 और 2004 उन्होंने हर चुनाव में जीत का परचम लहराया। कुल मिलाकर, पासवान 9 बार लोकसभा के लिए चुने गए और इनमें से 8 बार यह जीत इसी हाजीपुर सीट से आई है। 2019 में, जब रामविलास पासवान ने राज्यसभा का रुख किया, तब लोकसभा चुनाव में उनकी जगह उनके भाई पाशुपति कुमार पासवान ने हाजीपुर की सीट से चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की। आपको यह जानकर दिलचस्प लगेगा कि “पाशुपति” भगवान शिव के अवतारों में से एक हैं।

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चिराग पासवान और शिव चंद्र के बीच टक्कर

हाजीपुर लोकसभा सीट का इतिहास एक रोचक पहलू प्रस्तुत करता है जो भारतीय राजनीतिक संग्राम की गहराई को दर्शाता है। यहाँ के मतदाता न केवल नेताओं की प्रदर्शनी ही नहीं बल्कि उनके नाम में संदिग्धता को भी ध्यान में रखते हैं। इस बार का चुनाव भी एक महत्वपूर्ण टेस्ट है, जो दिखाएगा कि क्या हाजीपुर अपने पारंपरिक रूप से अपने नेताओं को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है, या फिर इस बार कुछ नया और अनूठा चुनावी मानचित्र बना पाएगा। क्योंकि हाजीपुर की इस सीट पर इस बार मुकाबला रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और राष्ट्रीय जनता दल के शिव चंद्र राम के बीच है। चिराग को बीजेपी का समर्थन प्राप्त है, जबकि शिव चंद्र राम इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार हैं। इस सीट पर चुनाव 20 मई को पांचवें चरण में होंगे और नतीजे 4 जून को घोषित किए जाएंगे। चिराग पासवान अपने पिता राम विलास पासवान की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, और इस बार के चुनाव में उतरे है। दूसरी ओर, शिव चंद्र राम, जो राष्ट्रीय जनता दल से हैं, इंडिया गठबंधन के समर्थन के साथ मैदान में उतरे हैं। दोनों उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला होने की संभावना है, जिसने इस चुनावी जंग को और भी रोमांचक बना दिया है।

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