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महिला पुलिसकर्मियों के साथ आईपीएस करते हैं ये घिनौना काम? लीक हुई करतूत तो पूरे देश में मचा हंगामा

Jind IPS Physical Harassment Case: हरियाणा में महिला पुलिसकर्मियों से जुड़े यौन शोषण के मामले ने न केवल पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार और अत्याचार की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति समाज की संवेदनशीलता को भी चुनौती दी है।

BY: Prachi Jain • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Jind IPS Physical Harassment Case: हरियाणा में महिला पुलिसकर्मियों के यौन शोषण मामले ने राज्य के पुलिस महकमे में हलचल मचा दी है। इस मामले की जांच अब महिला आयोग के समक्ष दूसरी बार हो रही है, जहां आज सात महिला पुलिस कर्मी आरोपी एसएचओ और डीएसपी के सामने अपनी आपबीती सुनाएंगी। यह मामला जींद जिले में तैनात एक आईपीएस अधिकारी द्वारा महिला पुलिसकर्मियों से यौन शोषण के आरोपों से जुड़ा हुआ है।

आरोप और महिला पुलिसकर्मियों की चिट्ठी

इस मामले की शुरुआत तब हुई जब जींद जिले में तैनात महिला पुलिसकर्मियों ने एक चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को अपनी आपबीती सुनाई। चिट्ठी में सात महिला पुलिसकर्मियों ने आरोप लगाया कि उनके साथ एक आईपीएस अधिकारी द्वारा यौन शोषण किया गया। चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिससे सरकार और पुलिस विभाग में खलबली मच गई। इसके बाद हरियाणा सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच का आदेश दिया।

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Jind IPS Physical Harassment Case: हरियाणा में महिला पुलिसकर्मियों से जुड़े यौन शोषण के मामले ने न केवल पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार और अत्याचार की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति समाज की संवेदनशीलता को भी चुनौती दी है।

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महिला आयोग की सुनवाई

महिला आयोग के चेयरपर्सन रेणु भाटिया ने इस मामले में दो बार सुनवाई करने का निर्णय लिया है। 30 अक्टूबर को इस मामले की पहली सुनवाई हुई थी, जिसमें आयोग ने जांच अधिकारी एसपी आस्था मोदी को बुलाया था। हालांकि, एसपी मोदी ने अपनी जगह पर डीएसपी को भेज दिया और उन्होंने जांच रिपोर्ट पेश की। इसके बाद रेणु भाटिया ने एसपी आस्था मोदी से वीडियो कॉल के माध्यम से बात की और महिला पुलिसकर्मियों को आरोपी अधिकारियों के सामने पेश कर उनके बयान दर्ज करने की बात कही। इस निर्णय के बाद आज महिला पुलिसकर्मी आयोग के समक्ष उपस्थित होकर अपनी आपबीती सुनाएंगी।

आरोपी अधिकारियों के ट्रांसफर

इस मामले में महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आरोपी अधिकारियों के ट्रांसफर की मांग की थी। इसके बाद राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए आरोपी आईपीएस अधिकारी, महिला एसएचओ और डीएसपी का ट्रांसफर कर दिया। यह कदम इस बात का संकेत था कि सरकार इस गंभीर मामले में निष्पक्ष जांच और न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

एसआईटी और 3 स्तरीय जांच

मामले की गंभीरता को देखते हुए हरियाणा सरकार ने 3 नवंबर को एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया था, जिसका नेतृत्व एडीजीपी ममता सिंह कर रही हैं। एसआईटी के गठन के बाद 4 नवंबर को एडीजीपी ममता सिंह ने जींद जिले का दौरा किया और पुलिस लाइन में 30 महिला पुलिस कर्मचारियों के बयान दर्ज किए। हालांकि, ममता सिंह ने मीडिया से बात करने से इंकार किया। जांच के बाद इस मामले की रिपोर्ट डीजीपी को सौंप दी जाएगी।

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इसके अलावा, इस मामले की जांच तीन स्तरों पर चल रही है। पहले स्तर पर महिला एसपी आस्था मोदी ने मामले की जांच की, फिर एडीजीपी ममता सिंह को भी जांच सौंपी गई। इसके बाद, हिसार आईजी एसपी के नेतृत्व में एक एसआईटी बनाई गई है, जो इस मामले की हर पहलु की गहनता से जांच कर रही है।

जींद में तैनात महिला पुलिसकर्मियों से जुड़ा पूरा मामला

यह पूरा विवाद जींद जिले में तैनात महिला पुलिसकर्मियों से जुड़ा हुआ है, जिनकी शिकायत है कि एक आईपीएस अधिकारी द्वारा उनका यौन शोषण किया गया। इन महिला पुलिसकर्मियों ने अपने उत्पीड़न की घटना का विवरण मुख्यमंत्री को भेजी चिट्ठी में दिया था। इस चिट्ठी पर सात महिला पुलिसकर्मियों के हस्ताक्षर थे, जिन्होंने आरोप लगाया कि वे लंबे समय से इस शोषण का शिकार हो रही थीं। जब यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो सरकार ने तत्काल जांच के आदेश दिए।

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निष्कर्ष

हरियाणा में महिला पुलिसकर्मियों से जुड़े यौन शोषण के मामले ने न केवल पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार और अत्याचार की गंभीरता को उजागर किया है, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के प्रति समाज की संवेदनशीलता को भी चुनौती दी है। महिला आयोग, एसआईटी और पुलिस विभाग द्वारा की जा रही जांच से उम्मीद की जा रही है कि इस मामले में न्याय मिलेगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस मामले से यह भी संदेश मिलता है कि महिलाओं को उनके अधिकारों का संरक्षण देने के लिए सरकार और समाज दोनों को कड़ा कदम उठाने की आवश्यकता है।

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