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India News (इंडिया न्यूज), Jharkhand Recruitment Drive: झारखंड आबकारी सिपाही प्रतियोगिता परीक्षा के लिए शारीरिक परीक्षण के दौरान 12 अभ्यर्थियों की हाल ही में मौत हो गई। इस मौत जमकर बवाल शुरु हो गया है। इन मौतों ने हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार के शासन और प्रशासनिक क्षमताओं में गंभीर खामियों को उजागर किया है। राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की दिशा में जो सकारात्मक कदम होना चाहिए था, वह एक हृदय विदारक त्रासदी में बदल गया है, जो सरकार के उच्चतम स्तरों पर घोर कुप्रबंधन और लापरवाही को रेखांकित करता है। इस घटना ने विपक्षी दलों, विशेष रूप से भाजपा की तीखी आलोचना को सही ठहराया है, जिसने झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार पर लापरवाही से लोगों की जान जोखिम में डालने का आरोप लगाया है। चुनाव नजदीक आ रहे हैं और हेमंत सोरेन द्वारा वादे के अनुसार रोजगार देने में विफल रहने पर युवाओं (युवाओं) की आवाजें बढ़ रही हैं।
वहीं इस मामले पर बीजेपी राज्य सरकार पर लगातार हमलावर रही है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने हाल ही में कहा था कि उत्पाद सिपाही भर्ती की अधिसूचना 8 अगस्त को निकली गई। वहीं 14 अगस्त को एडमिट कार्ड जारी हुआ। शारीरिक दक्षता परीक्षण के लिए 22 अगस्त से दौड़ का आयोजन शुरू हुआ। कोई महज 15 दिनों में दौड़ की क्या तैयारी करेंगे?
वो आगे कहते हैं कि, ‘हेमंत सरकार आपाधापी में भादो की उमस भरी गर्मी में दौड़ आयोजित कराई। इसकी वजह से ही राज्य के कई बेरोजगार युवक मौत के मुंह में समा गए। उनकी सरकार ने भर्ती केंद्रों पर ना तो पीने के पानी की व्यवस्था की है। जबकि ना शौचालय की और ना ही महिलाओं द्वारा छोटे बच्चों को स्तनपान कराने की कोई सुविधा है। ऐसे में इस कुव्यवस्था से बेरोजगार युवा मरेंगे ही! वो आगे कहते हैं कि लगता है हेमंत जी नौकरी नहीं देने के लिए बल्कि मौत बांटने का इंतजाम पक्का कर लिए हैं।
इस त्रासदी ने राजनीतिक तूफान को सही मायने में भड़का दिया है। भाजपा ने इसकी आलोचना में खास तौर पर मुखरता दिखाई है, उसने झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार पर “नौकरी चाहने वालों को मौत के मुंह में धकेलने” का आरोप लगाया है। भाजपा नेताओं ने भर्ती अभियान को ‘मौत की दौड़’ बताते हुए पीड़ितों के परिवारों के लिए मुआवजे और सरकारी नौकरी की मांग की है और प्रशासन के कुप्रबंधन और हठधर्मिता की ओर इशारा किया है।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, जो झारखंड भाजपा विधानसभा चुनाव के सह-प्रभारी भी हैं, ने घोषणा की है कि भाजपा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से मौतों की जांच करने का आग्रह करेगी। सरमा ने मांग की कि हेमंत सोरेन सरकार जान गंवाने वाले उम्मीदवारों के परिजनों को 50 लाख रुपये और एक नौकरी दे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो झारखंड में सत्ता में आने के बाद भाजपा पीड़ितों के परिवारों को नौकरी देगी।
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चुनाव नजदीक आने के साथ ही युवाओं की आवाजें उठ रही हैं, जो हेमंत सोरेन के रोजगार सृजन के अधूरे वादों पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं। झारखंड आबकारी कांस्टेबल भर्ती प्रक्रिया से जुड़ी दुखद घटनाएं हेमंत सोरेन सरकार के तहत इस तरह की पहलों के प्रबंधन में गहरी प्रणालीगत खामियों को उजागर करती हैं। उम्मीदवारों की सुरक्षा और भलाई को प्राथमिकता देने में प्रशासन की विफलता दूरदर्शिता की कमी और मानव जीवन के प्रति उपेक्षा को दर्शाती है। सरकार की कार्रवाई निवारक से ज्यादा प्रतिक्रियात्मक लगती है, जो उम्मीदवारों की सुरक्षा के प्रति वास्तविक प्रतिबद्धता की कमी को दर्शाती है। इस भर्ती अभियान के दौरान खोई गई जानें प्रशासनिक लापरवाही के परिणामों और प्रणालीगत सुधार की तत्काल आवश्यकता की गंभीर याद दिलाती हैं। जैसा कि भाजपा ने बताया है, इस मामले में निर्णायक रूप से कार्रवाई करने में सरकार की विफलता न केवल शासन में चूक है, बल्कि झारखंड के लोगों द्वारा उस पर रखे गए भरोसे के साथ विश्वासघात है।
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