Shyok Tunnel
पूर्वी लद्दाख में श्योक टनल भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर में एक अहम तरक्की का प्रतीक है. हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसका उद्घाटन किया. यह भारतीय इंजीनियरिंग क्षेत्र की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के पास स्थित यह सुरंग स्ट्रेटेजिक फॉरवर्ड इलाकों में हर मौसम में कनेक्टिविटी को बढ़ाती है. यह खराब मौसम से पैदा हुई लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों का समाधान करती है, साथ ही मिलिट्री लॉजिस्टिक्स और क्षेत्रीय विकास को मज़बूत करती है.
920 मीटर लंबी कट-एंड-कवर श्योक टनल 255 km लंबी दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी (DS-DBO) सड़क पर है, जो देपसांग प्लेन्स और दौलत बेग ओल्डी (DBO) के लिए एकमात्र ऑपरेशनल लिंक है, जो दुनिया के सबसे ऊंचे एयरफील्ड में से एक है. 2022 और 2025 के बीच मुश्किल इलाकों में बनी इस टनल में दो पोर्टल हैं जो 25 मीटर के पुल से जुड़े हैं, जो एवलांच-प्रोन और भारी बर्फबारी वाले हिस्सों को बायपास करते हैं. यह डिज़ाइन क्षेत्र में सालभर के आवागमन को सुनिश्चित करता है, जिससे सैनिकों और आम लोगों के लिए यात्रा का समय और जोखिम कम होता है. श्योक सुरंग की रणनीतिक महत्ता का कारण यह है कि यह एलएसी के निकटवर्ती क्षेत्रों को साल भर संपर्क प्रदान करने में सक्षम है। किसी भी आपात स्थिति में सैनिकों की त्वरित तैनाती और पुनः तैनाती में यह विशेष रूप से सहायक होगी.
LAC के समानांतर बनी यह टनल इमरजेंसी के दौरान तेजी से सैनिकों को इकट्ठा करने और फिर से तैनात करने में मदद करती है, जो देपसांग जैसे पुराने टकराव वाले इलाकों के लिए बहुत ज़रूरी है. यह जीरो डिग्री से कम तापमान और लैंडस्लाइड की स्थिति के दौरान हवाई सप्लाई पर निर्भरता कम करता है, और 2020 के गलवान टकराव के बाद पूर्वी लद्दाख में तैनाती के लिए सप्लाई चेन को मजबूत करता है.
यह सुरंग लद्दाख, जम्मू और कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में फैले हुए 5,000 करोड़ रुपये बजट के 24 अन्य बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) प्रोजेक्ट्स के साथ शुरू हुई है. सरकार उत्तर भारतीय और उत्तर-पूर्वी भरतीय राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर जोर दे रही है,जिसमें 28 सड़कें, क्लास 70 स्टैंडर्ड (70-टन कैपेसिटी) के 93 पुल, हेलीपैड और न्योमा एयरबेस ऑपरेशनलाइज़ेशन शामिल हैं. 2024-25 में BRO का 16,690 करोड़ रुपये का खर्च, बॉर्डर पर तेज़ी से हो रहे डेवलपमेंट को दिखाता है, जो दुश्मन के इंफ्रास्ट्रक्चर को टक्कर देगा और भारत की सीमाओं को सुरक्षा प्रदान करेगा.
डिफेंस के अलावा, यह टनल लद्दाख की बॉर्डर पर रहने वाली आबादी को अंदरूनी इलाकों से जोड़ती है, जिससे टूरिज्म, रोज़गार और आखिरी छोर के गांव तक पहुंच को बढ़ावा मिलता है. एक दूसरी ससोमा-DBO सड़क भी लगभग पूरी होने वाली है, जिससे रूट अलग-अलग हो जाएंगे. ये कोशिशें लॉजिस्टिक्स बेस, शेल्टर और कम्युनिकेशन नेटवर्क को सपोर्ट करते हुए गवर्नेंस में लोगों का भरोसा बढ़ाती हैं.
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