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IAS पर करोड़ों के घोटाले के आरोप, लेकिन फिर भी मेहरबान शिंदे सरकार? विपक्ष ने उठाई जांच की मांग

India News (इंडिया न्यूज),(विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट): कोविडकाल में अपने काम के लिए मीडिया में प्रसिद्धि बटोर चुके पूर्व बीएमसी कमिश्नर आईएएस अधिकारी इकबाल सिंह चहल को महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को अपर मुख्य सचिव (गृह) पद पर नियुक्त किया। इससे पहले चहल मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव थे, जिसके बाद उन्हें गुरुवार को […]

BY: Divyanshi Singh • LAST UPDATED :
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IAS पर करोड़ों के घोटाले के आरोप, लेकिन फिर भी मेहरबान शिंदे सरकार? विपक्ष ने उठाई जांच की मांग

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India News (इंडिया न्यूज),(विकास श्रीवास्तव की रिपोर्ट): कोविडकाल में अपने काम के लिए मीडिया में प्रसिद्धि बटोर चुके पूर्व बीएमसी कमिश्नर आईएएस अधिकारी इकबाल सिंह चहल को महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को अपर मुख्य सचिव (गृह) पद पर नियुक्त किया। इससे पहले चहल मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव थे, जिसके बाद उन्हें गुरुवार को आनन फानन में ट्रासंफर कर राज्य में कानून व्यवस्था की नई जिम्मेदारी दी गई। इसे एक बड़ा उलटफेर माना जा रहा है।

लेकिन इस पोस्टिंग के बाद से ही विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि जिस अधिकारी के खिलाफ कई आरोपों की जांच पहले से चल रही है, उस अधिकारी को राज्य की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी देना कितना सही है।

शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस पोस्टिंग पर सवाल उठते हुए कहा है कि “जब सैयां भए कोतवाल तो डर काहे का”। शिवसेना उद्धव गुट ने मांग की है कि चहल पर लगे आरोपों की जांच करने की बजाय महाराष्ट्र की शिंदे सरकार उन्हें अच्छी पोस्टिंग से नवाज रही है।

इकबाल सिंह चहल 1989 बैच के महाराष्ट्र कैडर के आईएस ऑफिसर हैं। मुंबई में कोविड के दौरान वो बीएमसी के कमिश्नर रह चुके हैं। लेकिन इस दौरान उनपर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे।

236 करोड़ रुपए का स्ट्रीट फर्नीचर घोटाला

शिवसेना नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने इकबाल सिंह चहल के खिलाफ मुंबई में स्ट्रीट फर्नीचर लगाने के लिए 263 करोड़ रुपये का टेंडर जारी करने में कथित भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। यह मुद्दा विधानसभा सत्र में भी गूंजा था, हालांकि मामले के तूल पकड़ने के बाद इस टेंडर को रद्द कर दिया गया था।

2020-22 में कोविड घोटाला

आईएएस अफसर इक़बाल सिंह चहल पर लगे भष्टाचार के सभी आरोपों में सबसे बड़ा आरोप है COVID काल में बीएमसी द्वारा किये गए करोड़ों के खर्च का। इनमें कोविड बॉडी बैग घोटाले से लेकर खिचड़ी घोटाला, ऑक्सिजन प्लांट घोटाला और जम्बो अस्पताल घोटाला शामिल है।

2 हज़ार की कीमत वाले बॉडी बैग को बीएमसी ने 6800 की दर पर खरीदते कुल 49.63 लाख रुपए खर्च किए। इस मामले की शिकायत मुम्बई पुलिस को की गई थी, और मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED )भी जांच कर रही है। वहीं 32.44 करोड़ का कोविड जुम्बो सेंटर घोटाला, 6.37 करोड़ का खिचड़ी घोटाला, 102 करोड़ का ऑक्सीजन प्लांट घोटाला और 5.96 करोड़ का रेमेडिसिवर इंजेक्शन घोटाला जैसे भी कई घोटाले हैं जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसी कर रही है।

इकबाल सिंह चहल पर एक आरोप यह भी लग चुका है कि उनकी निगहबानी में पैसे लेकर अधिकारियों को मलाईदार पोस्टिंग दी गई। मुम्बई के कई पार्षदों ने कैश-फॉर-ट्रांसफर घोटाले का आरोप लगाया था।

गौरतलब है कि बदलापुर यौन उत्पीड़न कांड के बाद एक तरफ जहां राज्य सरकार की किरकिरी हुई है, वहीं इकबाल सिंह चहल की इस पोस्टिंग ने विपक्ष को बैठे बिठाए एक मुद्दा थमा दिया है।

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