इंडिया न्यूज, पणजी:
IISF Launching भारतीय वैज्ञानिकों की अब अंतरिक्ष क्षेत्र के साथ ही समुद्र में भी बड़ी छलांग लगाने की तैयारी है। सरकार का कहना है कि वह अगले तीन साल में उसका अंतरिक्ष के साथ ही समुद्र में भी मानव मिशन भेजने का प्लान है और इसके लिए तैयारियों अभी से शुरू कर दी गई हैं। विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2023 में अंतरिक्ष में मानव मिशन भेजने के बाद वर्ष 2024 में भारत की गहरे समुद्र में भी मानव मिशन भेजने की योजना है। मंत्री ने गोवा की राजधानी पणजी में अंतरराष्ट्रीय भारत विज्ञान उत्सव (आईआईएसएफ) के शुभारंभ के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।
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डॉक्टर जितेन्द्र सिंह ने कहा, समुद्र में मौजूद खनिज भंडारों की खोज के करने के मकसद से समुद्रयान से तीन वैज्ञानिकों को 5000 मीटर गहरे समुद्र में भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने हाल में ‘डीप ओसियन मिशन’ को मंजूरी प्रदान की है। समुद्रयान के निर्माण पर 350 करोड़ रुपए की लागत आने का अनुमान है, जबकि डीप ओसियन मिशन के लिए कैबिनेट ने छह हजार करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। समुद्र में इतने बड़े स्तर के मिशन शुरू करने वाले देशों में अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन हैं।
डॉक्टर जितेंद्र ने बताया कि समुद्र में मानव मिशन की तैयारी के तहत कुछ दिन पहले समुद्रयान को 500 मीटर की गहराई में शोध के लिए उतारा गया है, लेकिन इस समुद्रयान को नए सिरे से मानव मिशन के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इसमें पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की प्रयोगशालाओं के अलावा इसरो भी काम कर रहा है। विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी मंत्री के अनुसार लक्ष्य यह है कि वर्ष 2024 तक तीन यात्रियों को लेकर समुद्रयान पांच किलोमीटर की गहराई तक समुद्र में उतरे। गहरे समुद्र की तलहटी में अपार खनिजों के भंडार मौजूद होने की संभावना है जो या तो धरती पर उपलब्ध नहीं हैं या फिर धीरे-धीरे खत्म हो रहे हैं।
नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ ओसियन (सीएसआईआर-एनआईओ) के निदेशक प्रोफेसर सुनील कुमार सिंह के अनुसार, हिन्द महासागर में तीन लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में गहन अध्ययन करने के बाद उन स्थानों की पहचान की गई है, जहां बड़े पैमाने पर समुद्र की तलहटी में पालिमैटालिक सामग्री मौजूद है। इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी ने 18 हजार किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में भारत को शोधकार्य की अनुमति दी है। इस क्षेत्र में 10 करोड़ मीट्रिक टन पोलिमैटालिक सामग्री होने का अनुमान है। इसे प्रोसेस करके बड़ी मात्रा में कोबाल्ट, आयरन, मैगनीज, कापर एवं निकल प्राप्त किया जा सकता है। कोबाल्ट की देश में भारी कमी है।
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पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के Secretary Dr. M. Ravichandran के अनुसार, समुद्रयान पर दो स्तरों पर कार्य हो रहा है। एक यह कि इसे पांच-छह हजार किलोमीटर गहराई तक मानव को ले जाने के लिए तैयार किया जा रहा है। दूसरा यह कि गहरे समुद्र से खनिजों को निकालने के लिए तकनीक विकसित करने पर भी काम चल रहा है। वैज्ञानिकों की कोशिश यह है कि जो खनिज वहां मिलें, उन्हें वहीं प्रोसेस करके निकाला जाए। दरअसल, अभी दुनिया में कहीं भी इतने गहरे समुद्र से खनिजों को निकालने की तकनीक नहीं है।
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