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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
IMF Appreciate Indian Government Scheme केंद्र सरकार की प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) का अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी मुरीद हो गया हो गया है। इस रेटिंग एजेंसी ने मोदी सरकार द्वारा चलाई गई पीएमजीकेएवाई की तारीफ करते हुए कहा है कि इस स्कीम के तहत कोरोना काल में जिस तरह से काम किया गया है वह काबिलेतारीफ है। कोरोना काल में गरीबों के लिए योजना संजीवनी साबित हुई है। इस खाद्य सुरक्षा योजना के जरिये कोरोना में सरकार ने अत्यधिक गरीबी में बढ़ोतरी के खतरे को बहुत बेहतर तरीके से संभाला है।
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में एक नए पेपर में पाया गया कि वर्ष 2019 में भारत में अत्यधिक गरीबी (पीपीपी 1.9 डॉलर प्रति व्यक्ति प्रति दिन) एक फीसदी से कम है और यह उससे अगले वर्ष यानी 2020 में कोरोना काल में भी उस स्तर पर बनी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पहली बार है जब गरीबी व असमानता पर खाद्य सब्सिडी का प्रभाव पड़ा है।
रिपोर्ट के अनुसार पीएमजीकेएवाई (PMGKAY) भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर में किसी भी वृद्धि को रोकने के लिए महत्वपूर्ण तो रही ही है, लेकिन कोरोना के चलते गरीबों की आमदनी में आई गिरावट को झेलने की शक्ति देने के लिए भी यह योजना शानदार साबित हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि खाद्य पात्रता को कोरोना के संकट में दोगुना किया गया जिससे निचला तबका भी इससे लाभान्विंत हुआ।
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पीएमजीकेएवाईर् के तहत जरूरतमंद लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने ही इस पीएमजीकेएवाई को सितंबर 2022 तक बढ़ाने की घोषणा की थी। गौरतलब है कि देश में कोरोना महामारी के बीच मार्च 2020 में इस योजना में तेजी लाई गई थी । पिछले साल नवंबर में मार्च 2022 तक चार महीने के लिए इस योजना को बढ़ा दिया गया था। इस योजना के अंतर्गत नियमित मासिक एनएफएसए खाद्यान्न के अलावा प्रति व्यक्ति प्रति माह पांच किलोग्राम खाद्यान्न उपलब्ध कराना शामिल है
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