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India News (इंडिया न्यूज), India-China Diplomatic Talks: एक तरफ चीन लगातार अरुणाचल प्रदेश को लेकर बयानबाजी कर रहा है, लेकिन दूसरी तरफ वह भारत से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात सैनिकों की वापसी को लेकर भी बात कर रहा है। भारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के नेतृत्व में स्थापित प्रणाली डब्ल्यूएमसीसी की बैठक बुधवार को बीजिंग में हुई।
WMCC भारत और चीन के बीच सीमा संबंधी मामलों पर चर्चा करने की एक व्यवस्था है, जिसकी यह 29वीं बैठक थी। मई, 2020 में पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से उत्पन्न स्थिति को सुलझाने के लिए यह बैठक लगातार हो रही है। इसमें दोनों पक्षों के सैन्य अधिकारी भी मौजूद हैं। बैठक में मौजूदा समस्या के समाधान में कोई सफलता मिलती नहीं दिख रही है, लेकिन दोनों देशों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि आगे भी चर्चा जारी रहेगी।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि अंतरिम तौर पर दोनों पक्ष राजनयिक और सैन्य स्तर पर बातचीत का दौर जारी रखने पर सहमत हुए हैं और मौजूदा के आधार पर एलएसी पर शांति बनाए रखी जाएगी।
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चीन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, दोनों देशों के बीच सीमा क्षेत्र में प्रबंधन और नियंत्रण को लेकर हो रही प्रगति की सकारात्मक समीक्षा की गई है। अगले चरण को लेकर बहुत स्पष्ट और विस्तृत चर्चा हुई है। साफ है कि अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला है, लेकिन चीन संकेत दे रहा है कि सीमा पर हालात सामान्य करने की दिशा में प्रगति हो रही है।
उल्लेखनीय है कि WMCC के भारतीय पक्ष का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में एक संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी द्वारा किया जाता है, जबकि इसका नेतृत्व चीनी विदेश मंत्रालय में महानिदेशक (सीमा और समुद्री विभाग) द्वारा किया जाता है। इसमें दोनों देशों के सैन्य अधिकारी और कुछ अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं। WMCC के अलावा सैन्य कमांडरों के नेतृत्व में भी भारत और चीन के बीच बैठक होती है।
चीन की ओर से कहा गया है कि अगली सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत जल्द होगी। बता दें कि पिछले एक महीने के दौरान भारत और चीन के बीच अरुणाचल प्रदेश को लेकर लगातार बयानबाजी हो रही है।
चीन चार बार अरुणाचल प्रदेश को लेकर सवाल उठा चुका है और दावा कर चुका है कि यह पूर्वोत्तर राज्य उसका हिस्सा है। भारत हर बार इसे खारिज करता रहा है। गुरुवार को भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने चीन के दावे को बेबुनियाद बताया और कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न अंग रहा है और भविष्य में भी रहेगा।
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