India News(इंडिया न्यूज),S Jaishankar: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर इन दिनों अपने चार दिवसीय दक्षिण कोरिया और जपान के दौरे पर है। जहां जयशंकर सबसे पहले दक्षिण कोरिया के सियोल पहुंच गए हैं। इसके साथ ही बुधवार को वह दक्षिण कोरिया और भारत के बीच 10वीं संयुक्त आयोग की बैठक में शामिल हुए। जहां सभा संबोधित करते हुए एस जयशंकर ने दक्षिण कोरिया और भारत के संबंध की बात करते हुए कहा कि, भारत दक्षिण कोरिया के साथ महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर और हरित हाइड्रोजन जैसे नए क्षेत्रों में अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करना चाहता है ताकि द्विपक्षीय संबंधों को और समकालीन बनाया जा सके।
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विदेश मंत्री चो को दी शुभकामनाएं
वहीं बैठक के दौरान जयशंकर ने दक्षिण कोरिया का विदेश मंत्री नियिक्तु होने पर बधाई देते हुए कहा कि, ‘मैं आपके सफल कार्यकाल के लिए अपनी शुभकामनाएं देता हूं। ‘मैंने बहुत उम्मीदों के साथ संयुक्त आयोग से संपर्क किया था। मैं जानता हूं कि हमारे बीच काफी अच्छे रिश्ते हैं। हमारी चुनौती इसे व्यावहारिक परिणामों में बदलना है।’ उन्होंने कहा, ‘हमारे नेताओं ने पिछले साल हिरोशिमा और नई दिल्ली में दो बार मुलाकात की। मुझे लगता है कि उनकी चर्चा ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन दिया है।
पीएम मोदी के यात्रा का किया जिक्र
जयशंकर ने अपने समकक्ष चो ताइ युल के साथ 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग बैठक की सह अध्यक्षता करने के दौरान यह टिप्पणी करते हुए कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 2015 में दक्षिण कोरिया यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को विशेष रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ाया गया। ‘यह महत्वपूर्ण है कि हम उस पर खरा उतरें। हम बीते वर्षों में मजबूती से आगे बढ़े हैं। हम एक दूसरे के लिए वास्तव में महत्वपूर्ण भागीदार बन गए हैं। हमारे द्विपक्षीय आदान-प्रदान, व्यापार, निवेश, रक्षा और विज्ञान और प्रौद्योगिकी सहयोग सभी ने सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों में गति बनाए रखते हुए एक स्थिर विकास देखा है। बता दें कि, जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की अपनी चार दिवसीय यात्रा के पहले चरण में सोल में हैं।
इन क्षेत्रों में बढ़ेगी दोस्ती
जयशंकर ने आगे भारत और दक्षिण कोरिया के संबंध के बारे में बात करते हुए कहा कि, ‘हम अपने संबंधों को और अधिक समकालीन बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, सेमीकंडक्टर, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन आदि जैसे नए क्षेत्रों में विस्तार करने में बहुत अधिक रुचि रखते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों के विचारों में अंतरराष्ट्रीय मंच पर समानता बढ़ रही है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर ध्यान देना अच्छी बात है और इसमें स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि दोनों की हिस्सेदारी है।
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