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India-China Relations: जैसे को तैसा! भारत सरकार चीन के खिलाफ उठाने जा रही ये बड़ा कदम-Indianews

Shubham Pathak • LAST UPDATED : June 11, 2024, 12:59 pm IST

India-China Relations

India News(इंडिया न्यूज),India-China Relations: भारत और चीन के बीच लागातर बढ़ रहे भूमी विवाद को लेकर बाते तेज हो रही है जहां तीसरी बार सत्ता आते ही मोदी 3.0 सरकार ने चीन को उसी के भाषा में जवाब देने का निर्णय लिया है। जानकारी के लिए बता दें कि चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में किए गए स्थानों के नाम बदलने के जवाब में भारत तिब्बत में 30 से अधिक स्थानों के नाम बदलने की तैयारी कर रहा है। जो मोदी 3.0 प्रशासन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।

  • चीन को अब मिलेगा जवाब
  • भारत उठाने वाला है साहसिक कदम
  • ड्रैगन की अब खैर नहीं

चीन के खिलाफ भारत का कदम

वहीं इस मामले चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थानों के नाम बदलने का भारत का फैसला चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के नाम बदलने के बार-बार किए गए प्रयासों के जवाब में आया है, जिसे वह जांगनान या “दक्षिणी तिब्बत” कहता है। नई दिल्ली इन कार्रवाइयों को पूर्वोत्तर भारतीय राज्य पर अपने क्षेत्रीय दावों को मजबूत करने के बीजिंग के प्रयासों के हिस्से के रूप में देखता है।

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भारत जारी करेगा सूची

वहीं इस मामले में भारतीय सैन्य सूत्रों के अनुसार नाम बदले जाने वाले स्थानों की पूरी सूची नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद जारी की जाएगी। यह कदम मोदी की मजबूत छवि को जारी रखता है, जो उनकी हालिया चुनावी जीत का एक महत्वपूर्ण कारक है।

इंटेलिजेंस ब्यूरो की पूर्व अधिकारी का बयान

वहीं इस मामले में जानकारी देते हुए इंटेलिजेंस ब्यूरो की पूर्व अधिकारी बेनू घोष ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी मजबूत छवि के बल पर इन चुनावों को जीतने की कोशिश की है। चीन और सीमा मुद्दे पर व्यापक अनुभव रखने वाली “यह स्वाभाविक है कि वह उस छवि को बनाए रखने के लिए तिब्बती स्थानों के नाम बदलने की अनुमति देंगे।

भारत की योजना

भारत की रणनीति में स्थानों का नाम बदलना और विवादित सीमा क्षेत्रों में मीडिया यात्राएं आयोजित करना शामिल है, जहां पत्रकार चीनी दावों का विरोध करने वाले स्थानीय लोगों से बातचीत कर सकते हैं। लक्ष्य ऐतिहासिक शोध और स्थानीय साक्ष्यों द्वारा समर्थित क्षेत्रीय और वैश्विक मीडिया के माध्यम से एक प्रति-कथा को आगे बढ़ाना है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश में कई बार स्थानों का नाम बदला है।

इसके साथ ही बता दें कि मार्च 2024 में जारी की गई नवीनतम सूची में 30 स्थानों का नाम बदला गया, जिसमें आवासीय क्षेत्र, पहाड़, नदियाँ और बहुत कुछ शामिल हैं। 2017, 2021 और 2023 में जारी की गई पिछली सूचियों के बाद, यह चीन की इस तरह की कार्रवाइयों का चौथा उदाहरण है।

भारत ने इन कदमों को लगातार खारिज किया है। 2023 में, तत्कालीन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है, रहा है और हमेशा रहेगा। मनगढ़ंत नाम रखने के प्रयास इस वास्तविकता को नहीं बदलेंगे।

सैनिकों ने दी जानकारी

भारत द्वारा तिब्बत में स्थानों के आगामी नाम बदलने से नई दिल्ली के दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व होता है। सैन्य अधिकारियों के अनुसार, नए नाम ऐतिहासिक शोध पर आधारित होंगे और चीन के क्षेत्रीय दावों को चुनौती देंगे। इस पहल से “तिब्बती प्रश्न को फिर से खोलने” की उम्मीद है, जो तिब्बत पर भारत के रुख में संभावित बदलाव का संकेत देता है, जिसे उसने बीजिंग के कब्जे के बाद से चीन के हिस्से के रूप में स्वीकार किया है।

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नाम बदलने का अभियान चीन की आक्रामक कार्टोग्राफिक और नामकरण रणनीति का मुकाबला करने की एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। भारत का लक्ष्य ऐतिहासिक नामों को पुनः प्राप्त करके और चीनी दावों को चुनौती देकर अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का दावा करना है।

जयशंकर ने किया दावा को खारिज

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावों को “हास्यास्पद” बताते हुए खारिज कर दिया और दोहराया कि यह राज्य “भारत का स्वाभाविक हिस्सा है।” यह जोरदार बयानबाजी चीन के बयानों का मुकाबला करने और विवादित क्षेत्रों पर अपने दावों को पुख्ता करने के भारत के दृढ़ संकल्प को रेखांकित करती है।

मिली जानकारी के अनुसार जैसे-जैसे पीएम मोदी की नई सरकार आकार ले रही है, तिब्बती स्थानों का नाम बदलना इसकी पहली बड़ी कार्रवाई में से एक होने जा रहा है, जो एक मजबूत और मुखर विदेश नीति के रुख को दर्शाता है। इस कदम का भारत-चीन संबंधों और क्षेत्र में व्यापक भू-राजनीतिक परिदृश्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है।

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