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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली:
Indian Government on Ukraine Crisis भारत सरकार (Indian Government) के लिए अब यूक्रेन (ukraine) में फंसे अपने लोगों को स्वदेश लाना किसी चुनौती से कम नहीं है। रूस के हमलों के बाद अब यह कठिन काम हो गया है। फिर भी सरकार अपनी तरफ से हर संभव प्रयास कर रही है और भारतीयों को अब पौलेंड व यूक्रेन के अन्य पड़ोसी देशों के रास्ते यूक्रेन से लाने की योजना बनाई जा रही है। विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला (foreign secretary harsh vardhan shringla) ने कहा है कि रूस के हमलों के बाद से यूक्रेन में लगातार स्थिति बिगड़ती जा रही है
हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि यूक्रेन में अब भी करीब 16 हजार भारतीय नागरिक हैं। उन्हें हम सुरक्षित भारत लाने की योजना बना रहे हैं। प्रेस कांफ्रेंस कर विदेश सचिव ने कहा कि सरकार पोलैंड, स्लोवाकिया, रोमानिया व हंगरी की मदद से जमीनी मार्ग से यूक्रेन से भारतीयों को निकालने का प्लान बना रही है। हाल ही के दिनों 4000 भारतीय यूक्रेन से भारत लौट लौटे हैं।
विदेश सचिव ने कहा कि यूक्रेन में हालात से निपटने के लिए सरकार की ओर से कई कदम उठाए गए हैं। लगभग एक माह पहले यूक्रेन में भारतीयों का सरकार ने रजिस्ट्रेशन करना शुरू कर दिया था। आॅनलाइन रजिस्टेÑशन के आधार पर हमे जानकारी हासिल हुई कि यूक्रेन में 20,000 भारतीय नागरिक रहे रहे थे। अब तक विदेश मामलों के मंत्रालय के कंट्रोल रूम में 980 कॉल व 850 ईमेल यूक्रेन से मिले हैं।
श्रृंगला ने यूक्रेन में फंसे छात्रों के माता पिता से कहा, हम भारतीय छात्रों के संपर्क में हैं और उन्हें सेफ भारत पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। भारत सरकार ने 15 फरवरी से एडवाइजरी शुरू कर दी थी पर छात्रों ने पढ़ाई के नुकसान के डर से यूक्रेन में रुकने का फैसला किया था। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय में यूक्रेन के संकट पर एक कंट्रोल रूम बनाया गया गया है जिसमें करीब 20 अधिकारी तैनात हैं। ये अफसर 24 घंटे काम कर रहे हैं। इसी कंट्रोल रूम में अब तक 980 कॉल और 850 ईमेल प्राप्त हुए हैं।
यूक्रेन के राजदूत के उलट रूस के नई दिल्ली में प्रभारी राजदूत रोमन बाबुश्किन (Ambassador in charge Roman Babushkin) ने एक दिन पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि हम भारत के स्वतंत्र व संतुलित प्रक्रिया का स्वागत करते हैं। भारत एक जिम्मेदार वैश्विक शक्ति है। हमारे बीच बहुत ही खास रणनीतिक साझेदारी है जो आपसी समझ व भरोसे पर आधारित है और हम एक दूसरे के हितों व चिंताओं का ध्यान रखते हैं। पिछले एक पखवाड़े में यूएनएससी में भारत का जो रूख है उसको लेकर पश्चिमी देशों के स्वतंत्र पर्यवेक्षक भी काफी टीका-टिप्पणी कर रहे हैं और इसे रूस का समर्थन करार दे रहे हैं।
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