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ISI New Chief Lt Gen Nadeem Anjum: अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाने वाले पाक के आईएसआई चीफ फैज हामीद की कुर्सी की चुलें हिल गई हैं। इसको लेकर पाक आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा से लेकर 20 साल तक अफगान में शांति बनाने को लेकर संघर्ष कर रहे अमेरिका तक की बांछें चढ़ी हुई हैं।
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अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन में अहम भूमिका निभाने वाले पाक के आईएसआई चीफ फैज हामीद की कुर्सी की चुलें हिल गई हैं। इसको लेकर पाक आर्मी प्रमुख जनरल बाजवा से लेकर 20 साल तक अफगान में शांति बनाने को लेकर संघर्ष कर रहे अमेरिका तक की बांछें चढ़ी हुई हैं। अफगानिस्तान में तालिबान की हुकूमत बनवाने के पीछे सीधे तौर पर पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस का हाथ अब दुनिया के सामने आ रहा है। वहीं व्हाइट हाउस स्थित बाइडन प्रशासन को भी ऐसा लग रहा था जैसे जनरल फैज तालिबान नेताओं के साथ मिलकर अफगानिस्तान में अमेरिका की हार का जश्न मना रहे थे। ऐसे में बेनकाब होती पाक सरकार के लिए खुफिया एजेंसी के जनरल को पद से हटाना पड़ गया है।
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वहीं फैज अब पेशावर स्थिति 11वीं कोर का कमांडर का कार्यभार देखेंगे। बता दें कि पड़ोसी देश में बदल रही परिस्थितियों के बीच फैज का काबुल में जाना पूरी दुनिया में सुर्खियां बन गया। बता दें कि काबुल के जिस होटल में हामीद रूके थे वहां एक ब्रिटिश पत्रकार ने सवाल किया तो चीफ ने जवाब में कहा था कि आल इज वेल। यही नहीं यहां फैज ने न सिर्फ तालिबानी नेताओं संग चाय पी बल्कि नमाज भी अता की।
पाकिस्तान की मुख्य इंटेलिजेंस एजेंसी है आईएसआई यह किस तरह से षडयंत्र रचती है। इसका प्रमाण इसी बात से लगाया जा सकता है कि कश्मीर में फैला आतंक सीधे तौर पर इसकी देन है। जो युवओं को बहला फुसला कर कुछ पैसों का लालच देकर तो किसी को जन्नत के सब्जबाग दिखा कर आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल करती है। हालांकि इस बात के सबूत पहले भी सामने आते रहे हैं। लेकिन हर बार पड़ौसी देश ने कभी भी सबूतों से इत्तेफाक नहीं रखा।
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बता दें कि इस विंग का गठन ब्रिटिश सेना के अधिकारी मेजर जनरल विलियम कावथोर्न ने वर्ष 1948 में कर दिया था। देश की आजादी के समय भारत दो हिस्सों में बंटा तो आजादी के वर्ष से ही पाकिस्तान कश्मीर पर कब्जे की जुगत में लग गया। जिसमें वह आज तक कामयाब नहीं हुआ। लेकिन इस संघर्ष में पाकिस्तान की सभी सेनाओं को मिली शिकश्त के कारण इस युद्ध के बाद आईएसआई का गठन किया गया था। जिसमें सैयद शाहिद हमीद को विंग का डायरेक्टर जनरल बनाया गया। एजेंसी का मुख्य काम पूरी दुनिया से जरूरी जानकारी जुटा कर पाक को देना है। हालांकि शुरू में आईएसआई देश के अंदरूनी मामलों की जानकारी पर इतना ध्यान नहीं देते थे लेकिन वर्ष 1977 में जैसे ही सत्ता जिया-उल-हक के हाथों में आई तो एजेंसी ने देश के भीतर भी खुफिया जानकारी जुटाने का काम शुरू कर दिया। विश्व भर में फैले एजेंसी के नेटवर्क में हजारों की संख्या में जासूस काम कर रहे हैं। जिनमें से कई सेवानिवृत कर्मचारी हैं और बहुत से लोग आम नागरिक हैं।
इस एजेंसी में डायरेक्टर जनरल ही प्रमुख होता है। इस पद पर वह ही आसीन हो सकता है जो पाक सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर कार्यरत हो। प्रमुख के अधीनस्थ 3 डिप्टी डायरेक्टर नियुक्त रहते हैं। इस एजेंसी को अलग-अलग विंग में बांट काम सौंपा गया है। जिनमें सबसे कुख्यात एस विंग होता है इसकी जिम्मेदारी इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों के साथ तालमेल व संबंध मजबूत करने की होती है। इसके बाद नंबर आता है सी विंग का इसका काम विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ कॉन्टेक्ट मैनेज करना होता है। इसके साथ ही ज्वाइंट काउंटर इंटेलिजेंस, ज्वायंट इंटेलिजेंस और एसएस डायरेक्ट्रेट जैसे करीब आधा दर्जन से अधिक अनेक विभाग कार्य करते हैं। जिनको काम के हिसाब से कार्य सौंप गया होता है।
इतिहास के पन्नों को पलट कर देखें तो सोवियत संघ से लड़ रहे अफगानी मुजाहिदों की मदद करते हुए अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने 80 के दशक में आईएसआई को करोड़ों डॉलर की मदद पहुंचाई थी। संघर्ष कर रहे यही लड़ाके कुछ सालों पर संगठित हुए और तालिबानी संगठन बना कर दुनिया के लिए सिरदर्द बनते चले गए। हालांकि एजेंसी इन आरोपों को सिरे से ही नकारती रही है।
अमेरिका में किए गए ट्रेड सेंटर हमले के दोषी को पाकिस्तान में पनाह भी आईएसआई ने दी हुई थी। जिसका खात्मा सुपर पॉवर की सेना ने विशेष कार्रवाई करते हुए वर्ष 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में मौत के घाट उतार दिया था। उस समय भी अमेरिका की एजेंसी ने आईएसआई पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पाक की खुफिया एजेंसी को लादेन के छिपे होने की पूरी जानकारी थी लेकिन वह लोग इस बात को मनाने कोे कतई तैयार नहीं थे।
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जिस देश ने कभी आईएसआई को मजबूत करने के लिए करोड़ों रुपया पानी की तरह बहाया, और सींच कर शक्तिशाली बनने में आर्थिक तोर पर सहयोग किया। बिन लादेन को पनाह देने में अहम रोल अदा करने वाली पाक की खुफिया एजेंसी को 2011 में अमेरिका से लीक हुए एक अहम दस्तावेज में आईएसआई को आतंकवादी संगठन करार दिया था। यही नहीं लंदन स्कूल आॅफ इकोनॉमिक्स ने साल 2010 में तालिबानी फील्ड कमांडर के हवाले से जानकारी देते हुए कहा था कि हां आईएसआई के एजेंट हमारी सुप्रीम काउंसिल की बैठक में भी शामिल होते रहते थे।
भारतीय सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी विनोद भाटिया के अनुसार देश में फैली प्रॉक्सी वॉर के पीछे सीधे तौर पर आईएसआई का हाथ है। पाक की खुफिया युनिट युवाओं को पैसों का लालच देकर भर्ती करती है और हथियार चलाने से लेकर पूरी तरह से आतंकी बनने की पूरी ट्रेनिंग देती है। इसके बाद इन्हें पाक सेना के सुपुर्द कर दिया जाता है। यहां से फिर पाक आर्मी इनका इस्तेमाल कर भारत के खिलाफ करती है।
भारत के खिलाफ लड़ने के लिए आईएसआई ने जैश ए मोहम्मद व लश्कर ए तैयबा जैसे गुटों को खड़ा किया। जो कि आए दिन भारत में अपनी मनसूबों को कामयाब करने की भरसक कोशिशें करने में जुटे हैं। जो कि वादी के भोले-भाले युवाओं को बरगला कर देश में अराजकता फैलाना चाहते हैं। यही नहीं पाक की यह नापाक एजेंसी भारत के अलावा, अफगानिस्तान और विश्व के कई देशों में भी अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने में जुटी है।
पाकिस्तान ने जिस नदीम अंजुम को आईएसआई का नया चीफ बनाया है वह पंजाब रेजिमेंट से संबंध रखते हैं। रावलपिंडी के गुजर खान इलाके से आने वाले नदीम ने ब्रिटेन के रॉयल कॉलेज आॅफ डिफेंस स्टडीज से ग्रेजुएशन किया है। वहीं पाक की खुफिया ने जारी किए ब्यान में कहा है कि अंजुम ने किंग्स कॉलेज लंदन से मास्टर्स किया हुआ है। वहीं इन्होंने होनोलूलू के एशिया-पेसिफिक सेंटर फॉर सिक्योरिटी स्टडीज से भी डिग्री मिली हुई है। पाक सेना में इन्हें ड्यूटी में सख्त और स्वभाव में शांत रहने वाला अधिकारी माना जाता है।
महानिदेशक की ताकत का अंंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि पाकिस्तान में कई बार सरकार बनाने से लेकर गिराने तक में भी इसकी भूमिका सामने आती रही है। वहीं इसकी जवाब देही सेना प्रमुख और प्रधानमंत्री दोनों के प्रति होती है। इस हिसाब से देखा जाए तो चीफ की ताकत इस बात पर निर्भर करती है कि उसके उपरोक्त दोनों लोगों से रिश्ते कैसे हैं।
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