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कैसे आग उगलने वाला राक्षस बन गई बच्चों की जान बचाने वाली मशीन? क्या है वो डॉक्टरी हथियार जिसमें जलकर मर गए 10 बच्चे

PUBLISHED BY: Prachi Jain • LAST UPDATED : November 16, 2024, 1:24 pm IST
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कैसे आग उगलने वाला राक्षस बन गई बच्चों की जान बचाने वाली मशीन? क्या है वो डॉक्टरी हथियार जिसमें जलकर मर गए 10 बच्चे

Jhansi Medical College Fire: यह प्रीमैच्योर या बीमार शिशुओं को उनकी विशेष जरूरतों के अनुसार वातावरण प्रदान करता है।

India News (इंडिया न्यूज), Jhansi Medical College Fire: उत्तर प्रदेश के झांसी मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू (नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई) वार्ड में हुए अग्निकांड में 10 नवजात बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। शुक्रवार रात 10 बजे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग से हुई आग के कारण यह हादसा हुआ। घटना के बाद एनआईसीयू जैसे संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हुए हैं।

एनआईसीयू और इनक्यूबेटर: नवजात शिशुओं के लिए क्यों जरूरी?

1. असामान्य नवजात की देखभाल:

प्रीमैच्योर (समय से पहले जन्म) या कमजोर शिशुओं को गर्भ जैसा वातावरण देने के लिए इनक्यूबेटर की आवश्यकता होती है। यह उनकी जिंदगी बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

2. इनक्यूबेटर का कार्य:

इनक्यूबेटर शिशुओं के लिए नियंत्रित और सुरक्षित वातावरण बनाता है। इसमें:

तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करना
ऑक्सीजन का सही स्तर बनाए रखना
एलर्जी, संक्रमण, शोर और अधिक रोशनी से सुरक्षा
शिशु के तापमान, हृदय गति और अन्य स्वास्थ्य मानकों की निगरानी

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3. एनआईसीयू की भूमिका:

एनआईसीयू को इनक्यूबेटर के संचालन के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया जाता है। यह प्रीमैच्योर या बीमार शिशुओं को उनकी विशेष जरूरतों के अनुसार वातावरण प्रदान करता है।

इनक्यूबेटर के प्रकार

1. ओपन इनक्यूबेटर:

ऊष्मा का आदान-प्रदान करते हैं।
बच्चों को बाहरी तापमान से बचाते हैं।

2. क्लोज्ड इनक्यूबेटर:

संक्रमण और नमी के स्तर को नियंत्रित करते हैं।
बच्चों के चारों ओर एक “सुरक्षित बुलबुला” बनाते हैं।

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3. ट्रांसपोर्ट इनक्यूबेटर:

शिशु को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए।
झांसी घटना से सबक और सुधार की जरूरत
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि संवेदनशील वार्डों में सुरक्षा मानकों का पालन करना कितना जरूरी है। आग लगने की वजह चाहे ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में स्पार्किंग हो या कोई और तकनीकी खामी, इसका समाधान और नियमित निरीक्षण अत्यावश्यक है।

आवश्यक कदम

  • एनआईसीयू वार्डों की सुरक्षा जांच: फायर सुरक्षा उपकरणों की नियमित जांच।
  • तकनीकी उपकरणों की देखरेख: ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और अन्य उपकरणों का मेंटेनेंस।
  • स्टाफ की प्रशिक्षण: अग्नि सुरक्षा और आपातकालीन स्थिति में सही कदम उठाने की ट्रेनिंग।
  • आपातकालीन निकासी योजना: ऐसे वार्डों के लिए तत्काल निकासी की व्यवस्था।

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इनक्यूबेटर और एनआईसीयू शिशुओं के जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इन वार्डों की सुरक्षा और उपकरणों की देखरेख में लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। झांसी मेडिकल कॉलेज की यह घटना न केवल एक चेतावनी है बल्कि यह सुनिश्चित करने का अवसर भी है कि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।

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