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कट्टर दुश्मन बने हिंदुस्तान के ये 2 राज्य, बेतुकी हिंसा में पिट रही आम जनता, जानें 69 साल पहले ऐसी क्या गलती हुई?

Karnataka Maharashtra Row: भारत के दो राज्यों के बीच एक लंबी जंग अब बेहद दर्दनाक मोड़ पर पहुंच गई है, जिसका अंजाम आम जनता को भुगतना पड़ रहा है।

BY: Utkarsha Srivastava • UPDATED :
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India News (इंडिया न्यूज), Karnataka Maharashtra Row: भारत के दो राज्यों के बीच इन दिनों जबरदस्त टेंशन चल रही है। मारपीट, तोड़फोड़ और हिंसा के बीच अब हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि बस सेवाएं पूरी तरह ठप करनी पड़ी है। ये दो राज्य हैं महाराष्ट्र और कर्नाटक…और इस जंग का बुरा नतीजा दोनों राज्यों के ड्राइवर्स को भुगतना पड़ रहा है। ड्राइवर्स के साथ-साथ आम लोग पिट रहे हैं और ये जंग दशकों पुरानी है जो अब भाषा को बेइज्जत करने पर उतर आई है। आगे जानें इस हिंसा की इसली जड़ क्या है और कितनी लंबी है?

क्यों बंद हो गई बस सेवाएं?

दरअसल, बेलगावी के मरिहाल में कर्नाटक के एक बस चालक और कंडक्टर को कथित तौर पर मराठी में बात न करने पर पीटा गया। कंडक्टर ने पुलिस से शिकायत की और बताया कि एक लड़की ने मराठी में टिकट मांगा, तो उसने कहा कि उसे मराठी नहीं आती और उसने लड़की से कन्नड़ में बात करने को कहा। ये सुनते ही लड़की और उसके पुरुष मित्र ने उस पर हमला कर दिया। इसके बाद बस रोकी गई और फिर भीड़ ने मारपीट शुरू कर दी। इस भाषा विवाद को लेकर पहले कर्नाटक के ड्राइवर को महाराष्ट्र में पीटा गया और फिर महाराष्ट्र के ड्राइवर की कर्नाटक में पीटा गया।

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Karnataka Maharashtra Row: कर्नाटक महाराष्ट्र विवाद

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भड़क गई सरकारें

जिसकी वजह से दोनों राज्यों के बीच जबरदस्त तनाव का माहौल हो गया है। दोनों राज्यों की सरकारों भड़क गई हैं और आम लोगों की सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए अंतर्राज्यीय बस सेवाएं बंद कर दी गई हैं। इन हालातों में भी दोनों ही राज्यों की सरकारें झुकने या विवाद खत्म करने के मूड में दिखाई नहीं दे रही हैं। इस विवाद का इतिहास ही इतना जटिल है कि सुलझाना लगभग नामुमकिन है।

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क्या है इस विवाद की जड़?

ये विवाद 1956 में शुरू हुआ था जब भारत में भाषा के आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया। इसकी वजह से महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच एक ऐसा संघर्ष छिड़ गया जो दशकों से चला आ रहा है। 1960 में महाराष्ट्र राज्य का गठन हुआ था और इसके बाद इस राज्य की सरकार की ओर से कर्नाटक के बेलगावी, निपानी और कारवार सहित 865 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने का दावा पेश किया गया। इसके लिए तर्क दिया गया कि उस क्षेत्र के लोग मुख्य रूप से मराठी भाषी थे। हालांकि, कर्नाटक ने इसका विरोध किया। इस मसले का हल आज भी नहीं निकल पाया है और ये गलती अब नासूर बनती जा रही है।

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