India News (इंडिया न्यूज), Kashmir Dispute: पाकिस्तान दुनिया के हर बड़े मंच पर जाकर जम्मू-कश्मीर पर अपना दावा होने की बात कहता है। पड़ोसी देश के इसी दावे की पोल को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में रहने वाला एक व्यक्ति ने ही खोल दी है। पीओके से तालुक रखने वाले पॉलिटिकल एक्टिविस्ट सज्जाद राजा ने ब्रिटेन की संसद में कहा कि, “पाकिस्तान कश्मीर के मुद्दे पर कोई आधिकारिक पक्ष नहीं है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोगों को जानवरों जैसा सुलूक किया जाता है। लोगों को यह अधिकार है कि, जम्मू कश्मीर के लोगों को दी जा रही सुविधाएं उन्हें भी दी जाएं।
बता दें कि, ब्रिटिश संसद में कुछ सांसद सहित अन्य स्पीकरों ने आर्टिकल-370 के हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे लाभ व विकास को लेकर कहा कि, “सज्जाद राजा और वक्ता ब्रिटिश संसद में 26 अक्टूबर, 1947 को तत्कालीन रियासत के भारत में विलय की, 76वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर, जम्मू और कश्मीर के दिवस के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में भाग ले रहे थे।
In #British Parliament today, I very categorically and without any ambiguity made it clear to the MPs and other dignitaries that #Pakistan is not a legitimate party to the dispute of #JammuAndKashmir and that there are only two parties to the dispute, the people of #JammuKashmir… pic.twitter.com/xghJviCCwD
— Professor Sajjad Raja (@NEP_JKGBL) October 26, 2023
सज्जाद राजा ने ब्रिटिश संसद में कही गई बात पर एक्स पर ट्वीट करते हुए एक पोस्ट किया जिसमे कहा है कि, “मैंने बहुत स्पष्ट रूप से और साथ ही बिना किसी के अस्पष्टता के सांसदों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को यह साफ कर दिया कि, पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर के विवाद में एक वैध पक्ष नहीं है।” .
इसके साथ ही राजा ने आगे कहा, “विवाद में केवल दो पक्ष हैं, जम्मू-कश्मीर के लोग और भारत। मैंने सांसदों से यह भी कहा कि हम, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के लोग है, 1947 में ब्रिटिश सरकार द्वारा की गई गलतियों की वजह से अभी भी पीड़ित हैं और बिना किसी अधिकार के रहने को मजबूर हैं।” जारी किए गए एक वीडियो में, सज्जाद राजा को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि, “पाकिस्तान को भारत सरकार द्वारा यह वैधता दी गई है। अगर मैं हाथ में बंदूकें लेकर इस कमरे में प्रवेश करूं और इस जगह को घेर लूं, तो क्या आप मुझे एक वैध पक्ष मानेंगे, जब इस बात पर अब विचार किया जा रहा है कि, मुझे इस संसद कक्ष से बाहर निकाल देना चाहिए?”
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