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इंडिया न्यूज, चंडीगढ़:
(Know What Is The Population Of Metropolis) हरियाणा में राज्यपाल की अनुमति मिलने के बाद अब 3 महानगर हो गए हैं। पहले गुरुग्राम और फरीदाबाद ही महानगर थे और इसी कैटेगरी में पंचकूला भी शामिल हो गया है। इस महीने गत मानसून सत्र में सरकार द्वारा इसको लेकर विधेयक लाया गया था और इसे पास कर दिया गया था। इसको पंचकूला महानगर विकास प्राधिकरण( पीएमडीए) कानून नाम दिया गया जिसको राज्यपाल बंडारु दत्तात्रेय द्वारा अनुमति प्रदान कर दी गई है। इसके बाद 9 सितंबर को इसको हरियाणा सरकार के गजट में भी प्रकाशित कर दिया गया है। वहीं ये मामला भी निरंतर चर्चा है कि पंचकूला की जनसंख्या एक महानगर के लिए जितनी होना जरुरी है, वो नहीं है। आइए जानते हैं कि संविधान के अनुसार महानगर की जनसंख्या कितनी होनी चाहिए?
अगर महानगर के जनसंख्या संबंधी पहलू की बात करें तो सवैंधानिक पक्ष को भी समझना जरुरी है। देश के संविधान के अनुच्छेद 243 पी में म्युनिसिपलटीज (नगर निकाय) के भाग में महानगर क्षेत्र की परिभाषा अनुसार यह 10 लाख या उससे अधिक जनसँख्या वाला क्षेत्र होगा। जिसमें एक या अधिक जिले हों जो दो या दो से अधिक नगर निकाय और पंचायतों या अन्य संलग्न क्षेत्रों से मिलकर बनता हो एवं जिसे राज्यपाल द्वारा पब्लिक नोटिफिकेशन द्वारा महानगर के रूप में अधिसूचित किया गया हो। हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 2 (29 ) में भी महानगर की बिलकुल उपरोक्त परिभाषा है।
बता दें कि मार्च, 2010 में जब प्रदेश में 7 नई नगर निगमें घोषित की गयी, तो उसमें तत्कालीन पंचकूला नगर परिषद में तत्कालीन कालका और पिंजौर नगर पालिकाओं का विलय कर एवं साथ लगते कई गांवों को जोड़कर पंचकूला नगर निगम बनायीं गयी थी। जिसके पहले आम चुनाव जून, 2013 में करवाए गए। इसके बाद गत वर्ष 2020 में पंचकूला नगर निगम में से कालका क्षेत्र को बाहर निकालकर अलग से कालका नगर परिषद घोषित कर दी गयी। हालांकि गत 11 वर्षो में आज तक पंचकूला नगर निगम के लिए मेट्रोपोलिटन प्लानिंग कमेटी का गठन नहीं किया गया जो हरियाणा नगर निगम कानून, 1994 की धारा 417 के अनुसार करना कानून आवश्यक है।
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