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डा. रविंद्र मलिक, Chandigarh News। कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में जमकर उठापटक मची है। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के कई दिग्गज या तो पार्टी छोड़ चुके हैं या पार्टी फिर छोड़कर भाजपा या अन्य पार्टियां ज्वाइन कर चुके हैं। इसी कड़ी में पार्टी के लिए 19 मई का दिन भी भारी रहा पंजाब में पार्टी के दिग्गज नेता बलराम जाखड़ (Punjab Congress leader Balram Jakhar) ने पार्टी छोड़ दी।
इससे पहले गुजरात (Gujarat) में हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वही राजस्थान युवा कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोगरा (Rajasthan Youth Congress President Ganesh Ghogra) ने भी पार्टी को अलविदा कर दिया। हरियाणा की बात करें तो यहां भी पार्टी के कई असंतुष्ट नेताओं के पार्टी छोड़ने की चर्चा जमकर जारी है।
इसी कड़ी में पार्टी के दिग्गज नेता और विधायक कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल (CM Manohar Lal) से मुलाकात की। इसके बाद यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या वह भी कांग्रेस को तिलांजलि देने वाले हैं।
गौरतलब है कि वह पार्टी से पिछले कई दिनों से खासे नाराज चल रहे हैं। वह पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की दौड़ में थे लेकिन पार्टी ने उनको प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर नहीं बिठाया और हुड्डा के वफादार व करीबी उदय भान को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया जिसके बाद वह निरंतर पार्टी हाईकमान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
पिछले करीब 1 महीने में वह कई बार भाजपा (BJP) नेता और मुख्यमंत्री मनोहर लाल की तारीफ में कसीदे पढ़ चुके हैं। इसी कड़ी में उन्होंने बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात की और सोशल मीडिया पर उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि आदमपुर ग्राम पंचायत (Adampur Gram Panchayat) की बहाली को लेकर लंबे समय से धरने चल रहे थे और इसको लेकर मांग जारी थी।
मुख्यमंत्री ने उनके सामने ही ग्राम पंचायत बहाली के निर्देश दिए और ऐसे में वो उनका धन्यवाद करते हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो मुख्यमंत्री से उनसे यह मुलाकात महज औपचारिक और शिष्टाचार वाली नहीं थी, बल्कि इसके कई महत्वपूर्ण राजनीतिक मायने हैं। जिस तरह से वो मुख्यमंत्री की तारीफ कर रहे हैं और उनसे मिल रहे हैं, उसे कहीं न कहीं संदेश जा रहा है कि वह जल्द ही कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं।
जल्दी ही हरियाणा में राज्यसभा की 2 सीटों के लिए चुनाव होंगे, जिनमें से एक भाजपा और दूसरी कांग्रेस को जानी तय लग रही है। अगर कुलदीप बिश्नोई पार्टी छोड़ते हैं तो कांग्रेस की राज्यसभा सीट (Congress Rajya Sabha seat) खतरे में पड़ सकती है। फिलहाल कांग्रेस के पास 31 विधायक (Congress MLAs in Haryana) हैं और बिश्नोई के इस्तीफा देने की स्थिति में पार्टी के पास 30 विधायक होंगे।
हरियाणा में कुल 90 विधायक हैं (Haryana has total 90 MLAs) और कांग्रेस को राज्यसभा सीट पाने के लिए एक तिहाई यानी की 30 विधायकों की जरूरत है। अगर पिछली बार की तरह कोई गलती हुई या कोई एक भी विधायक की वोट गलत पड़ी या कोई अन्य दिक्कत आई तो पार्टी के पास जरूरी संख्या नहीं होगी। ये भी बता दें कि पार्टी के चार विधायक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और पार्टी की दिग्गज नेता कुमारी सैलेजा (Miss Saileja) के साथ हैं। ऐसे है कोई हर तरह की संभावना जता रहा है और वर्तमान उठापटक को देखते हुए कुछ भी संभव है।
यूं तो उनसे खटपट लंबे समय से जारी है लेकिन उदयभान को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाए जाने के बाद उनकी नाराजगी और विवाद ज्यादा बढ़ गया था। उन्होंने न केवल सोशल मीडिया बल्कि सार्वजनिक रूप से भी अपनी नाराजगी जाहिर की।
गौरतलब है कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupendra Singh Hudda) के खेमे के माने जाने वाले उदयभान को पिछले दिनों हरियाणा कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इसके अलावा पार्टी ने चार कार्यकारी अध्यक्ष भी नियुक्त किए थे।
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि फिलहाल कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का एक तरफा होल्ड है। वो खुद नेता प्रतिपक्ष हैं तो उनके वफादार उदय भान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। एक तरह से कहें तो प्रदेश कांग्रेस पर पूरी तरह से हुड्डा काबिज हैं।
ऐसे में साफ है कि कुलदीप बिश्नोई (Kuldeep Bishnoi) को बहुत तवज्जो नहीं मिलेगी जिसको पाने की वह कोशिश लंबे समय से कर रहे हैं और कहीं ना कहीं इसके चलते उनके अंदर असुरक्षा की भावना भी है कि आने वाले समय में पार्टी में उस भूमिका में नहीं होंगे जिसके लिए संघर्ष कर रहे हैं।
उदयभान (Udaybhan) को प्रदेश अध्यक्ष कांग्रेस की कुर्सी दी गई तो कुलदीप बिश्नोई ने जमकर असंतोष जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने समर्थकों के लिए लिखा कि वह अभी पूरे मामले पर विचार कर रहे हैं और जब तक राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से नहीं मिल लेते तब तक कोई कदम नहीं उठाएंगे। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी से बार-बार मिलने का समय मांगा लेकिन जो उनको अब तक नहीं दिया गया है।
हालांकि हरियाणा के पार्टी प्रभारी विवेक बंसल (Vivek Bansal) ने उनको आश्वासन दिया कि जल्द ही उनकी बात सुनी जाएगी। लेकिन फिलहाल तक टाइम नहीं मिलने से जिस तरह से चीजें लग रही है, उससे से कहीं न कहीं ये इशारा मिल रही कि वह जल्द ही पार्टी का दामन छोड़ देंगे और कोई नया विकल्प चुनेंगे उनकी हर गतिविधि पर प्रदेश भाजपा व अन्य पार्टियों की है उनका अगला कदम क्या होगा।
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