Categories: देश

Lamp-Lighting Controversy क्या है? मंदिर के पक्ष में फैसला देना पड़ा भारी, विपक्ष लाएगा जस्टिस स्वामीनाथन पर महाभियोग

हाल ही में द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके) ने इंडिया ब्लॉक के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन को पद से हटाने की मांग करते हुए महाभियोग का नोटिस सौंपा. जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन तिरुपरनकुंड्रम कार्तिकई दीपम विवाद में अपने फैसले के कारण सुर्खियों में हैं.

जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन मद्रास हाई कोर्ट के जज हैं, जो अभी मदुरै बेंच में काम कर रहे हैं. वे मदुरै के पास तिरुप्परनकुंद्रम सुब्रमण्यम स्वामी मंदिर में एक धार्मिक रस्म से जुड़े अपने न्यायिक आदेशों को लेकर चर्चा में रहे हैं, जिसने बाद में एक बड़ा राजनीतिक और कानूनी विवाद खड़ा कर दिया.

तिरुप्परनकुंद्रम में दीया जलाने का विवाद

एक सदी से भी ज़्यादा समय से, तिरुप्परनकुंद्रम पहाड़ी पर उच्चिपिल्लैयार मंदिर के पास पारंपरिक रूप से कार्तिगई दीपम दीया जलाया जाता रहा है. इस प्रथा का समर्थन एक शिलालेख में भी मिलता है. हाल के सालों में, कुछ ग्रुप्स ने मांग की कि दीया एक दरगाह के पास एक बाउंड्री के पत्थर पर जलाया जाए, जिससे एक स्थानीय रस्म सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मुद्दा बन गई. भक्त राम रविकुमार की पिटीशन पर एक्शन लेते हुए, जस्टिस स्वामीनाथन ने ऑर्डर दिया कि दरगाह के पास “दीपथून” (पारंपरिक लैंप-स्पॉट) पर दीया जलाया जाए, यह मानते हुए कि इससे मुस्लिम कम्युनिटी के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होगा. 

कोर्ट के ऑर्डर और बढ़ता विरोध

जब एडमिनिस्ट्रेशन शुरू में उनके ऑर्डर को लागू करने में फेल रहा, तो जस्टिस स्वामीनाथन ने सख्त निर्देश दिया कि दीया एक तय समय तक जलाया जाना चाहिए, और चेतावनी दी कि अगर इसका पालन नहीं किया गया तो कुछ मिनट बाद कंटेम्प्ट की कार्रवाई शुरू हो जाएगी। बाद के आदेशों में भक्तों के कोर्ट की बताई जगह पर दीया जलाने के अधिकार को फिर से पक्का किया गया, और अधिकारियों को हिंदू ग्रुप्स के तनाव और विरोध और तमिलनाडु सरकार की तरफ से उठाई गई चिंताओं के बीच CISF सुरक्षा समेत सुरक्षा देने का निर्देश दिया गया.

INDIA ब्लॉक के MPs ने महाभियोग की मांग क्यों की?

8-9 दिसंबर 2025 को, DMK की लीडरशिप में विपक्षी INDIA ब्लॉक के MPs ने जस्टिस स्वामीनाथन के खिलाफ लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को इंपीचमेंट नोटिस दिया, जिसे संविधान के आर्टिकल 217 और 124 के तहत करीब 120 MPs के साइन का सपोर्ट मिला। कनिमोझी, टी.आर. बालू, प्रियंका गांधी वाड्रा और अखिलेश यादव उस डेलीगेशन का हिस्सा थे जिसने औपचारिक रूप से नोटिस सौंपा था. विपक्ष का कहना है कि जस्टिस स्वामीनाथन का फैसला धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है. 

इंपीचमेंट नोटिस में आरोप

नोटिस में “गलत काम” के तीन बड़े आधार बताए गए हैं.

  • पहला, इसमें आरोप है कि लैंप-लाइटिंग केस जैसे मामलों में जस्टिस स्वामीनाथन का व्यवहार उनकी निष्पक्षता, ट्रांसपेरेंसी और ज्यूडिशियरी के सेक्युलर कैरेक्टर के पालन पर गंभीर शक पैदा करता है.
  • दूसरा, इसमें उन पर एक खास सीनियर एडवोकेट, एम. श्रीचरण रंगनाथन, और एक खास कम्युनिटी के वकीलों के साथ केस तय करते समय “बेवजह तरफदारी” करने का आरोप है.
  • तीसरा, इसमें दावा किया गया है कि उनके कुछ फैसले एक खास पॉलिटिकल आइडियोलॉजी से प्रभावित हैं, जो कथित तौर पर संविधान के सेक्युलर सिद्धांतों के खिलाफ हैं.

लैंपलाइट विवाद के चरण

1915-1916: शुरुआती विवाद तब हुआ जब दरगाह के केयरटेकर ने पहाड़ी के पत्थरों का इस्तेमाल करके मंडप बनाने की कोशिश की; मंदिर ने 1837 के डॉक्युमेंट्स का हवाला देते हुए विरोध किया, जिसमें पहाड़ी के मालिकाना हक का दावा किया गया था.

1923-1931: मामला मदुरै सबऑर्डिनेट कोर्ट से मद्रास हाई कोर्ट (1926) और प्रिवी काउंसिल में गया, जिसने फैसला सुनाया कि दरगाह की जगह को छोड़कर पहाड़ी मंदिर की है.

1994: भक्त ने मद्रास हाई कोर्ट में अर्जी दी कि कार्तिगई दीपम को मंदिर के मंडप से दरगाह के पास पहाड़ी पर बने दीपाथून में शिफ्ट किया जाए, जिससे रस्म विवादित हो गई.

दिसंबर 2025 की शुरुआत में: पिटीशनर रामा रविकुमार (हिंदू मुन्नानी से जुड़े) ने दीपाथून जलाने को लागू करने के लिए फाइल की; जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन ने मंदिर को डेडलाइन तक दीया जलाने का आदेश दिया. 

लैंप विवाद पॉलिटिकल फ्लैशपॉइंट के तौर पर

इंडिया ब्लॉक लीडर्स ने तिरुप्परनकुंद्रम लैंप-लाइटिंग ऑर्डर को एक गहरे पैटर्न का प्रतीक बताया है जिसे वे साम्प्रदायिक आइडियोलॉजी के तौर पर देखते हैं, और तर्क दिया है कि इस तरह के दखल सांप्रदायिक संतुलन बिगाड़ना और न्यायिक निष्पक्षता में विश्वास को खत्म करने का काम करते हैं. जज के समर्थक, जिनमें कुछ हिंदू ग्रुप भी शामिल हैं, उनका कहना है कि वह सिर्फ़ एक पुरानी रस्म को फिर से शुरू कर रहे थे और “तुष्टिकरण से चलने वाली” राज्य सरकार के खिलाफ़ कोर्ट के आदेशों को लागू कर रहे थे, जिससे यह विवाद तमिलनाडु में सेक्युलरिज़्म, अल्पसंख्यकों के अधिकारों और न्यायिक आज़ादी पर एक बड़ी लड़ाई बन गया है. 

Shivangi Shukla

Recent Posts

SIR को लेकर EC का बड़ा एलान, इन राज्यों में तैनात किए गए SRO

भारत के चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़…

Last Updated: December 13, 2025 07:15:03 IST

Prada का ₹84,000 वाला सैंडल, इंडिया में लॉन्च से पहले ही शुरू हुआ तुफान-लोग बोले, ये पहनें या संभालकर रखें?

Prada Sandal: प्राडा के सीनियर एग्जीक्यूटिव, लोरेंजो बर्टेली ने बताया कि सैंडल का यह खास…

Last Updated: December 13, 2025 06:02:53 IST

अब शराब की एक घूंट पीने के लिए भी बीबी से लेना होगा इजाजत? जानें क्या है BNS कानून जिसका नाम सुनते ही कांपते हैं पियक्‍कड़ पति

एक पत्नी अपने शराबी पति के खिलाफ क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (BNS) के सेक्शन 85B के…

Last Updated: December 13, 2025 05:39:53 IST

‘पल्स कहां गई?’ KBC में अमिताभ बच्चन की नाड़ी गायब देखकर एक्ट्रेस हुई हैरान,बिग बी ने खुद बताया पूरा सच

Amitabh Bachchan: आजकल कौन बनेगा करोड़पति 13 का एक वीडियों सोशल मीडिया पर वायरल हो…

Last Updated: December 13, 2025 05:33:17 IST