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Live In Relationship: लिव-इन रिलेशनशिप पर लागू धर्मांतरण विरोधी कानून, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

BY: Himanshu Pandey • LAST UPDATED : March 14, 2024, 7:38 am IST
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Live In Relationship: लिव-इन रिलेशनशिप पर लागू धर्मांतरण विरोधी कानून, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया निर्देश

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India News (इंडिया न्यूज), Live In Relationship: यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई किया है जिसमे उन्होंने कहा कि, धर्मांतरण विरोधी कानून लिव-इन रिलेशनशिप पर भी लागू होता है। न्यायाधीश ने कहा कि भले ही कोई जोड़ा लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा हो। उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, 2021 उन पर लागू होगा। कोर्ट ने यह टिप्पणी लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रह रहे हिंदू-मुस्लिम जोड़े के लिए की। जज रेनू अग्रवाल ने जोड़े की याचिका खारिज कर दी और उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने से इनकार कर दिया। आपको बता दें कि इस साल इस जोड़े ने आर्य समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार शादी की थी और अदालत में उत्पीड़न से सुरक्षा की मांग की थी।

कौन है याचिकाक्रर्ता ?

बता दें कि, याचिका करने वाला 24 साल का मुस्लिम महिला और 23 साल का हिंदू युवक है। दोनों ने आर्य समाज के अनुसार विवाह किया। याचिकाकर्ताओं ने अपना धर्म नहीं बदला है। दंपति ने अदालत में किसी भी उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा की मांग की थी। अदालत ने उन्हें लिव-इन जोड़ा घोषित किया और कानून के अनुसार पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। इस पर जोड़े ने कहा कि विवाह पंजीकरण के लिए उनका ई-आवेदन अभी भी लंबित है, इसलिए वे अपनी जान की सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।

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लिव-इन पर हाई कोर्ट का निर्देश

न्यायाधीश ने जोड़े को सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है, यह देखते हुए कि परिवारों द्वारा कोई शिकायत दर्ज नहीं की गई थी। साथ ही उनके रिश्ते को चुनौती नहीं दी गई है। जिसके कारण धर्मांतरण विरोधी कानून का पालन न करने के कारण सुरक्षा की उनकी याचिका को खारिज कर दी गई है। वहीं, राज्य ने भी कोर्ट में दंपत्ति के खिलाफ कहा था कि, उन्होंने कभी भी धर्म परिवर्तन के लिए आवेदन नहीं किया है। दरअसल, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत कोई भी मुस्लिम महिला किसी भी हिंदू पुरुष से आर्य समाज रीति-रिवाज के अनुसार शादी नहीं कर सकती है।

इसके आधार पर कोर्ट ने उनके रिश्ते को लिव-इन करार दिया और कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून के तहत अंतरधार्मिक जोड़ों के लिए धर्मांतरण के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। न्यायाधीश ने कहा कि धर्म परिवर्तन का पंजीकरण न केवल विवाह के उद्देश्य के लिए बल्कि विवाह की प्रकृति के रिश्ते के लिए भी आवश्यक है।

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