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India News (इंडिया न्यूज), अजय त्रिवेदी, जौनपुर: जौनपुर के बख्शा बाजार से बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती की रैली से लौट रही भीड़ निरुत्साहित दिखती है। महिलाएं चुपचाप घर लौटने की जल्दी में रवाना हो रही हैं तो नौजवान हाथ में नीला झंड़ा जरुर थामे हैं पर न तो नारे लगा रहे और न ही अपने प्रत्याशी के लिए वोट मांग रहे हैं। जौनपुर से आगे बढ़ने पर महज दस किलोमीटर बाद मछलीशहर संसदीय क्षेत्र शुरू हो जाता है जहां सड़क पर कई लोगों से पूछने के बाद बीएसपी प्रत्याशी का नाम पता चलता है। बीएसपी ने यहां रिटायर्ड आईएएस कृपाशंकर सरोज को प्रत्याशी बनाया है जो पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं और लोगों को संविधान का महत्व बता रहे हैं। जौनपुर से बीएसपी ने काफी उलट-फेर के बाद आखिर मे अपने वर्तमान सांसद व पूर्व प्रशासनिक अधिकारी श्याम सिंह यादव को दोबारा खड़ा कर दिया है। पांच साल सांसद रहे श्याम सिंह यादव का भी चुनाव प्रचार मुख्य सड़कों से इतर गांवों ने न तो नजर आ रहा है और न ही उनकी चर्चा इस क्षेत्र में हो रही है।
जौनपुर में पांच साल तक सांसद रहने के बाद भी बीएसपी के श्याम सिंह यादव इस बार प्रचार में कोसों पीछे दिख रहे हैं। भाजपा ने महाराष्ट्र सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके मुंबई निवासी व मूल रूप से जौनपुर के रहने वाले कृपाशंकर सिंह को मैदान में उतारा है जो कम से मक प्रचार और ग्लैमर के मामले में तो औरों से काफी आगे नजर आ रहे हैं। सपा ने यहां कभी मायावती के बगलगीर रहे और घोटाले में जेल जा चुके कोइरी समाज के बाबू सिंह कुशवाहा को उतारा है जो मूल रूप से बांदा के रहने वाले हैं। सजातीय कोइरी मतो व बड़ी तादाद में यादवों व अल्पसंख्यकों के समर्थन के बूते कुशवाहा सीधे भाजपा के प्रत्याशी कृपाशंकर को टक्कर दे रहे हैं। यहां बीएसपी मुख्य मुकाबले में नजर नहीं आती है और उसके प्रत्याशी को मिलने वाले वोट भाजपा के कृपाशंकर सिंह की ही राह आसान कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश में छठे चरण के चुनाव में जिन 14 सीटों पर शनिवार को मतदान होगा उनमें जौनपुर और मछलीशहर भी शामिल है। पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में जहां बीएसपी ने जौनपुर की सीट जीती थी वहीं मछलीशहर में उसके प्रत्याशी त्रिभुवन राम महज 180 वोटों से चुनाव हारे थे। त्रिभुवन राम बाद को भारतीय जनता पार्टी में चले गए और अब वाराणसी जिले की अजगरा सीट से विधायक हैं। जौनपुर और मछलीशहर के पड़ोस की अंबेडकर नगर सीट पर भी बीएसपी 2019 में जीती थी और ये इलाका उसका शुरु से गढ़ रहा है। अंबेडकर नगर से बीएसपी के सांसद रहे रितेश पांडे भी भाजपा में चले गए और इस बार उसके टिकट पर मैदान में है तो समाजवादी पार्टी ने कभी मायावती-कांशीराम के खास सिपहसालार रहे लालजी वर्मा को प्रत्याशी बनाया है। यहां भी इस बार बीएसपी खुद को प्रासंगिक बनाए रखने की लड़ाई लड़ते दिखती है।
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पूर्वांचल में बीएसपी को लोकसभा व विधानसभा में कई बार सफलता दिलाने वाली जौनपुर, मछलीशहर और अंबेडकरनगर सीटों में से प्रत्येक पर कम से कम 4-5 लाख दलित मतदाता है और इसके अलावा बड़ी तादाद में अति पिछड़ी जातियां भी उसके पाले में रहती आई हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में इन तीनों सीटों पर शानदार प्रदर्शन करने वाली बीएसपी को इस बार मुख्य मुकाबले में आने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है और चुनाव पूरी तरह से भाजपा व सपा के बीच दो-ध्रुवीय नजर आता है।
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मछलीशहर के रामपुर बाजार में वोट डालने के लिए छुट्टी लेकर पहुंचे अवधेश मौर्य बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनावों के समय से ही बीएसपी अपनी चमक खोती जा रही है और इस बार तो उसके पास बस जाटव मतदाताओं का एक हिस्सा ही बचा दिखता है। उनका कहना है कि बीएसपी के आधार वोट दलितों में 2019 में भाजपा ने सेंध लगायी थी और इस बार तो संविधान बचाने के नाम उसका कुछ हिस्सा सपा को भी जा रहा है। मौर्य बताते हैं कि मछलीशहर में भाजपा के वर्तमान सांसद बीपी सरोज को लेकर लोग नाराज पर पर उन्हें मोदी के नाम पर वोट मिल रहा है जबकि सपा ने दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़ी तेज-तर्रार युवा नेत्री व सुप्रीम कोर्ट में वकील प्रिया सरोज को उतारा है जिनके पक्ष में काफी समर्थन है। रामपुर बाजार के ही ब्रजेश सिंह कहते हैं कि अगड़ों का साथ भाजपा के बीपी सरोज को मिल रहा तो पिछड़ों, दलितों का काफी हिस्सा सपा की प्रिया सरोज के साथ है। बीएसपी प्रत्याशी चर्चा में भी नहीं नजर आ रहे हैं।
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