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India News (इंडिया न्यूज), अजीत मेंदोला, नई दिल्ली: एक कहावत है सूत न कपास हवा में लट्टम लट्ट। मतलब कोई बात है नहीं बेमतलब में झगड़ रहे हैं। यही स्थिति इंडी गठबंधन के घटक दलों के बीच बंगाल में बनी हुई है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी ने तो मान लिया कि दिल्ली में इंडी गठबंधन की 4 जून को सरकार बन रही है,लेकिन वह सरकार में शामिल नहीं होगी,बाहर से समर्थन देगी। ममता बनर्जी के इस बयान पर कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी वैसा ही बयान दिया जैसे कि सरकार बन गई ,लेकिन उन्हें ममता बनर्जी के समर्थन की जरूरत नहीं है। मतलब अभी सरकार का गठन तो बहुत दूर की बात चुनाव भी पूरे नहीं हुए। परिणाम 4 जून को आयेगा,लेकिन ममता और अधीर रंजन चौधरी सूत न कपास वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
दरअसल बंगाल में इस बार टीएमसी नेत्री ममता बनर्जी और कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी अकेले ही चुनाव लड़ रहे है। अकेले मतलब अधीर के समर्थन में उनकी पार्टी के सर्वोच्च नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने इस बार बंगाल की तरफ रुख किया ही नहीं है। यही नही दूसरे नेता भी कम ही चुनाव प्रचार में गए। हालांकि अधीर रंजन कहते हैं कि उन्होंने ही राहुल को आने से मना किया।
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दरअसल कांग्रेस का असल संकट बंगाल में ही है। अधीर रंजन हमेशा से टीएमसी और ममता बनर्जी की खुल कर खिलाफत करते रहे हैं। यही नहीं ममता के बाहर से समर्थन देने के सवाल पर उन्होंने तमाम आरोप ममता पर लगा दिए। यहां तक कह दिया कि वह भरोसे लायक नही है। चुनाव बाद बीजेपी के साथ भी जा सकती हैं। ऐसी स्थिति में कांग्रेस आलाकमान के पास चुप रहने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता। कांग्रेस की एक परेशानी यह भी है कि वह बंगाल में वह वाम दलों के साथ है ममता उनके खिलाफ है।
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असल में बंगाल में ममता बनर्जी ही भाजपा के खिलाफ मजबूती से अकेले चुनाव लड़ रही है। इंडी गठबंधन के साथ वे है जरूर लेकिन उनके प्रचार में घटक दल का कोई नेता गया नहीं। ममता बनर्जी की परेशानी यह है कि भाजपा ने बंगाल में अपनी जड़ें तेजी से मजबूत की हैं। कांग्रेस और वामदल वहां पर गए जमाने की बात हो गई। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 19 सीट जीत कर सबको चौंका दिया।
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अब ममता की चिंता इसी बात को लेकर है कि इस बार भाजपा ने उनसे ज्यादा सीट हासिल कर ली तो दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी मुश्किलें बढ़ेंगी। बंगाल में 2026 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। ममता बनर्जी ने वोटरों को भ्रमित करने के लिए दिल्ली में इंडी गठबंधन की सरकार बन रही जैसा दांव खेला जरूर,लेकिन अधीर रंजन चौधरी ने उस पर पानी फेर दिया। चौधरी के बीजेपी के साथ जाने वाले बयान से ममता बनर्जी को नुकसान हो सकता है। दोनों नेताओं ने अपने अपने हिसाब से बयान दे बीजेपी की एक तरह से मदद कर दी दिखती है।
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