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India News(इंडिया न्यूज),Lok Sabha Election: तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने गुरुवार को दावा किया कि ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ही पश्चिम बंगाल स्कूल भर्ती घोटाले के बारे में पता था। जानकारी के लिए बता दें कि, कुणाल घोष का यह बयान टीएमसी द्वारा उन्हें पार्टी के राज्य महासचिव के पद से हटाए जाने के एक दिन बाद आया है, कुछ ही समय पहले उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार तपस रॉय के साथ मंच साझा किया था और उनकी प्रशंसा की थी।
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कुणाल घोष ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि, “पार्टी इस तथ्य से अच्छी तरह वाकिफ थी कि स्कूली शिक्षा विभाग में नौकरियों के बदले बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और जबरन वसूली हो रही थी। पार्टी को 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले ही इसकी जानकारी थी। इसके साथ ही टीएमसी नेता ने कहा कि “बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार की इस जानकारी के कारण ही टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी को 2021 में पार्टी के लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटने के बाद शिक्षा मंत्रालय से उद्योग विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार, स्कूल भर्ती घोटाला 5 लाख रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक की रिश्वत से जुड़ा है ₹15 लाख, जो कथित तौर पर सत्तारूढ़ टीएमसी नेताओं द्वारा चयन परीक्षा में असफल होने वाले शिक्षकों के लिए एकत्र किए गए थे। इसके साथ ही टीएमसी विधायक माणिक भट्टाचार्य और जीवन कृष्ण साहा सहित कई टीएमसी नेताओं को घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। हालांकि, पार्टी ने कहा है कि 2022 में पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी तक उसे घोटाले की जानकारी नहीं थी।
बुधवार को, टीएमसी ने कुणाल घोष को उनके हालिया बयानों के कारण राज्य महासचिव के पद से हटा दिया, जो पार्टी के साथ “संरेखित नहीं” थे। पार्टी के कुछ नेताओं के अनुसार, कुणाल घोष के खिलाफ कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि उन्होंने दो लोकसभा सांसदों और उम्मीदवारों- घाटल से सांसद प्रसिद्ध अभिनेता दीपक अधिकारी और कोलकाता उत्तर सीट से सुदीप बंदोपाध्याय के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ टिप्पणियां की थीं। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने एक बयान में कहा, “हाल ही में, श्री कुणाल घोष ऐसे विचार व्यक्त कर रहे हैं जो पार्टी के विचारों से मेल नहीं खाते। यह स्पष्ट करना महत्वपूर्ण है कि ये उनके निजी विचार हैं और इन्हें पार्टी से संबंधित नहीं माना जाना चाहिए। केवल एआईटीसी मुख्यालय से जारी बयानों को ही पार्टी का आधिकारिक रुख माना जाना चाहिए।
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