India News (इंडिया न्यूज), Maharashtra Election Result Analysis: 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस लगातार रसातल पर जाती हुई नजर आ रही है। कभी अपने दम पर केंद्र और राज्य में सरकार बनाने वाली कांग्रेस पार्टी छोटी-छोटी क्षेत्रीय पार्टियों को साथ लेकर चुनाव जीतने का सपना देख रहे हैं। आउटडेटेड और बिना विचारधारा वाली पार्टी बनती जा रही कांग्रेस बेकार के मुद्दे उठाकर लोगों को समय बर्बाद कर रही है। 2014, 2019 और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भी कांग्रेस नेतृत्च की नींद नहीं खुली है। हरियाणा और महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने वाली कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया है। राजनीतिक पंडितों से लेकर कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं तक, कोई भी यह नहीं समझ पा रहा है कि इस बुरी हार पर क्या प्रतिक्रिया दें। वह भी तब जब कुछ महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस की इस दुर्दशा के लिए पार्टी के अंदर एक गुट खुद प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले को जिम्मेदार ठहराता है। उसका कहना है कि पटोले भाजपा द्वारा लगाए गए नेता हैं, जिनके चक्रव्यूह में कांग्रेस आलाकमान फंस गया।
Maharashtra Election Result Analysis(इसकी वजह से महाराष्ट्र में हारी कांग्रेस)
दरअसल, यह पूरी चर्चा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले को लेकर है। नाना पटोले 2021 से महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उन्हें एक जुझारू नेता के तौर पर जाना जाता है। लेकिन, आपको बता दें कि यह वही नाना पटोले हैं जिन्होंने 2014 में भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था और संसद पहुंचे थे। उन्होंने भंडारा गोंदिया से एनसीपी के दिग्गज नेता प्रफुल्ल पटेल को हराया था। फिर 2017 में कथित तौर पर किसानों की बात करते हुए उन्होंने अपनी सांसद सीट छोड़ दी थी। उसके कुछ महीने बाद जनवरी 2018 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए।
हम आपको जानकारी के लिए बता दें कि, नाना पटोले अपने राजनीतिक करियर के शुरुआती दिनों में वे कांग्रेसी ही थे। वे 1999 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने। फिर 2004 में विधायक बने। लेकिन, 2008 में वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 2008 से 2018 तक करीब 10 साल तक वे भाजपा में रहे। फिर वे कांग्रेस में वापस आ गए। 2019 में राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार बनने के बाद उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन, उद्धव ठाकरे सरकार के संकट में आने से कुछ महीने पहले ही उन्होंने अध्यक्ष का पद छोड़ दिया।
नाना पटोले पर पार्टी के भीतर अपनी गुंडागर्दी चलाने का आरोप है। वे आक्रामक राजनीति करते हैं। ऐसे में कांग्रेस में शामिल होने के तीन साल के भीतर ही उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया और उनकी सीधी पहुंच राहुल गांधी तक हो गई। नाना पटोले के उदय के साथ ही राज्य कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता खुद को अलग-थलग महसूस करने लगे थे। यही वजह रही कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के कई बड़े नेता पूर्व सीएम अशोक चव्हाण, मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम और बाबा सिद्दीकी ने पार्टी छोड़ दी।
1990 के दशक तक महाराष्ट्र की राजनीति पर राज करने वाली कांग्रेस इस समय अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। वह सिर्फ 16 सीटों पर सिमट कर रह गई है। 1975 की इमरजेंसी के बाद 1978 में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को राज्य में 62 सीटें मिली थीं। खुद नाना पटोले ने साकोली विधानसभा सीट से करीब 200 वोटों से जीत दर्ज की है। इनके अलावा राज्य कांग्रेस के बड़े नेता बाला साहेब थारोट संगमनेर सीट से हार गए हैं। वह 1985 से लगातार इस सीट से जीत रहे थे। इसी तरह पूर्व सीएम पृथ्वीराव चव्हाण कराड साउथ सीट से हार गए हैं।
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के नेता खुद कह रहे हैं कि हमारी कैंपेन स्ट्रैटजी की वजह से हमें हार मिली। राज्य में भ्रष्टाचार, अपराध, छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने जैसे कई अहम मुद्दे थे, लेकिन पार्टी संविधान बचाने पर जोर दे रही थी। दूसरी तरफ महायुति महिलाओं के खातों में पैसे डालने की बात कर रही थी। इतना ही नहीं, लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी अति आत्मविश्वास में थी और जमीन पर काम करने के बजाय गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर मंथन कर रही थी।
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