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टूटते पहाड़, घरों में दरार, धंसती सड़कें और दहशत में लोग, क्या खत्म हो जाएगा नैनीताल?

PUBLISHED BY: Reepu kumari • LAST UPDATED : August 11, 2024, 7:16 am IST
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टूटते पहाड़, घरों में दरार, धंसती सड़कें और दहशत में लोग, क्या खत्म हो जाएगा नैनीताल?

Big danger on Nainital

India News (इंडिया न्यूज), Big danger on Nainital: आपके पसंदीदा हिल स्टेशन नैनीताल पर इस वक्त बड़ा खतरा मंडरा रहा है। नैनीताल में रहने वाले लोग डर के साए में जी रहे हैं। हालात बुरे होते जा रहे हैं। ऐसे में सबके मन में सवाल उठ रहे हैं कि क्या नैनीताल भी जोशीमठ की तरह धंस रहा है? और आने वाले दिनों में क्या यह खत्म हो जाएगा और केवल खाई बनकर रह जाएगा? बता दें कि रिपोर्ट्स अच्छे नहीं है। यहां के एक गांव में पहाड़ से लेकर सड़क और घर सब टूट रहे हैं दरारें पड़ रही है। जो कि आने वाले बेहद डरावने मुसीबत के बारे में दभी जुबान में कह रहे हैं। खबर है कि गांव के 19 ऐसे घर हैं जहां हर साल दरारें आ रही हैं। यही कारण है खतरे को देखते हुए शासन और प्रशासन दोनें ही अलर्ट पर है। यही कारण है कि गांव का निरीक्षण करवाया गया है। दहशत का लेवल इतना बढ़ गया है कि लोग अपना घर छोड़कर भागने को मजबूर हो गए। जो लोग यहां हैं वो भगवान का नाम लेकर सो रहे हैं।

  • जोशीमठ की हालत खराब
  • नैनीताल, उत्तरकाशी भी संवेदनशील
  • नुकसान पहुंचाती रहेगी

जोशीमठ की हालत खराब

उत्तराखंड के जोशीमठ के पहाड़ी शहर से लोगों को हटाने की बढ़ती मांग के बीच, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी कि यह कोई अकेली घटना नहीं है। जोशीमठ की तरह, हिमालय की तलहटी में बसे कई अन्य शहर भी ज़मीन धंसने की चपेट में हैं। भूमि धंसना सबसे बड़े पर्यावरणीय परिणामों में से एक है, जिसकी अनदेखी की जाती है, क्योंकि स्थानीय क्षेत्र की भूविज्ञान की परवाह किए बिना मानव-नेतृत्व वाली गतिविधियाँ बढ़ जाती हैं। जोशीमठ भी ऐसी ही स्थिति का सामना कर रहा है, जहाँ हाल के दिनों में लगातार बारिश और बाढ़ के कारण कमज़ोर नींव और बढ़े हुए कटाव के कारण ज़मीन खिसक रही है। मानवीय गतिविधियाँ सबसे बड़ा योगदानकर्ता बनी हुई हैं। हालांकि, इस स्थिति में अचानक आई इस हलचल के पीछे मुख्य कारण मेन सेंट्रल थ्रस्ट (MCT-2) का फिर से सक्रिय होना है। यह भूगर्भीय दोष है, जहां भारतीय प्लेट ने हिमालय के साथ यूरेशियन प्लेट को नीचे धकेल दिया है।

नैनीताल, उत्तरकाशी भी संवेदनशील

जोशीमठ की तरह ही नैनीताल में भी निर्माण कार्यों की भरमार के साथ पर्यटन का जबरदस्त बोलबाला है। यह शहर कुमाऊं के हिमालय में स्थित है और 2016 की एक रिपोर्ट बताती है कि इस शहर का आधा हिस्सा भूस्खलन से उत्पन्न मलबे से ढका हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है, “ढलान का पैटर्न आपदा के लिए मूलभूत कारक प्रतीत होता है क्योंकि अधिकांश क्षेत्र में बहुत अधिक ढलान है। दूसरे, चट्टान के प्रकार भी क्षेत्र के टेक्टोनिक सेट-अप के बाद बड़े पैमाने पर होने वाली हलचलों में बहुत प्रमुख भूमिका निभाते हैं।”

नुकसान पहुंचाती रहेगी

उन्होंने कहा कि किसी भी भूगर्भीय दोष या थ्रस्ट को फिर से सक्रिय होने से मानव जाति द्वारा रोका नहीं जा सकता है। यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और किसी भी क्षेत्र के कमज़ोर क्षेत्रों को नुकसान पहुंचाती रहेगी। इसलिए, किसी के पास केवल कुछ ही विकल्प बचते हैं और सबसे महत्वपूर्ण विकल्प बहुत ही उच्च तकनीक वाली इंजीनियरिंग का उपयोग करके ऐसी आपदाओं का इलाज करना है।

नैनीताल झील फॉल्ट

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ जियोलॉजी और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा नैनीताल के आसपास किए गए भूवैज्ञानिक अध्ययन में भी 2016 में इसी तरह के निहितार्थ पाए गए। अध्ययन ने पुष्टि की कि इस क्षेत्र में मुख्य रूप से चूना पत्थर के साथ शेल और स्लेट शामिल हैं, जो नैनीताल झील फॉल्ट की उपस्थिति के कारण अत्यधिक कुचले और अपक्षयित हैं। अध्ययन में पाया गया कि “इन चट्टानों और ऊपर की मिट्टी की ताकत बहुत कम है।” “जो हम जोशीमठ में देख रहे हैं, वह बहुत आसानी से और जल्द ही नैनीताल, उत्तरकाशी और चंपावत में दोहराया जा सकता है, जो भूकंपीय गतिविधि, फॉल्टलाइन के फिर से सक्रिय होने और आबादी और निर्माण गतिविधियों के बड़े पैमाने पर प्रभावित होने के लिए अतिसंवेदनशील हैं। इन शहरों की नींव बहुत खराब है, जिससे वे बहुत कमजोर हैं,”

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क्यों धंस रहा नैनीताल?

अब आते हैं उस सवाल पर नैनीताल के धंसने के पीछे की क्या वजह है। हालात खतरनाक लोग क्यों कह रहे हैं। तो इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह अंधाधुंध निर्माण है लेकिन एकलौती ये एक वजह नहीं है। इसके साथ एक और वजह है जिसने लोगों के मन में खौफ पैदा कर दिया है। वो है बलिया नाला। ‘बलिया नाला’ वो क्षेत्र है जहां से नैनीताल झील का निकासी होता है। नैनीताल की इसे बुनियाद कहा जाता है।

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