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NASA handed over NISAR satellite to ISRO: अमेरिका की एयरफोर्स ने हाल ही में NASA और ISRO द्वारा संयुक्त रूप से विकसित उपग्रह ‘NISAR’ को भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को सौंप दिया गया है। खास बात ये है कि इस सैटेलाइट का इस्तेमाल धरती को तमाम खतरों से बचाने के लिए किया जा सकेगा। साथ ही इसे भारत और अमेरिका के संबंधों को लेकर मील का पत्थर माना जा रहा है। बता दें कि बुधवार को इसे बेंगलुरु में उतारा गया है।
NISAR सैटेलाइट की खास बात है कि ये पृथ्वी की सतह को एनालाइज कर डेटा तैयार करने का काम करेगा। इसका इस्तेमाल खासतौर पर एग्रीकल्चर मैपिंग और भूस्खलन के जोखिम वाले क्षेत्रों का पता लगाने के लिए किया जाएगा। इसके अलावा ऐसे बहुत से क्षेत्र हैं जहां इसका सही इस्तेमाल किया जा सकेगा। सैटेलाइट को अगले साल यानी की 2024 में आंध्र प्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में लॉन्च किए जाने की संभावना है। समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट कम से कम तीन साल तक काम करेगा। ‘निसार’ 12 दिन में पूरी दुनिया का नक्शा भी तैयार कर लेगा।
अंतरिक्ष में NISAR पहला ऐसा रडार होगा जो सिस्टमैटिक तरह से पृथ्वी का मैप तैयार करेगा। साथ ही प्रकृतिक खतरों और इकोसिस्टम में होने वाले बदलाव की जानकारी भी देते रहेगा। NISAR के डेटा का इस्तेमाल फसल की वृद्धि, भूमि उपयोग जैसे क्षेत्रों में सुधार के लिए किया जाएगा।
Touchdown in Bengaluru! @ISRO receives NISAR (@NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) on a @USAirforce C-17 from @NASAJPL in California, setting the stage for final integration of the Earth observation satellite, a true symbol of #USIndia civil space collaboration. #USIndiaTogether pic.twitter.com/l0a5pa1uxV
— U.S. Consulate General Chennai (@USAndChennai) March 8, 2023
वहीं इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ के मुताबिक, आठ साल पहले इस मिशन की शुरुआत हुई थी। ये 2,800 किलोग्राम का उपग्रह है, जिसमें L-बैंड और S-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) उपकरण हैं, जिस कारण इसे दोहरी आवृत्ति इमेजिंग रडार उपग्रह कहा जाता है। ये उपग्रह, ये मौसम की स्थिति की परवाह किए बिना दिन और रात डेटा एकत्र कर सकता है। इससे पृथ्वी पर भूमि और बर्फ की सतहों का पहले से कहीं अधिक विस्तार से अध्ययन करने में मदद मिलेगा।
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